धर्म हो या राजनीति, दोनों ही विषय अपने आप में इतनी विशालता लिए हुए हैं कि एक आम आदमी अपने जीवनकाल में इन में से किसी एक से ही पार पा ले तो गनीमत है. लेकिन आलम यह है कि न धर्म को छोड़ पाता है न राजनीति से बच पाता है. दोनों से जूझता है और हर पल टूटता है.
यदि बात धर्म की की जाए तो आज के समाज में यह सिर्फ देवीदेवताओं की आराधना तक ही सीमित नहीं है, वह जुड़ चुका है धर्म के उन ठेकेदारों से, जो धर्म का बिजनैस करते हैं, धर्म का धंधा करते हैं. हमारे समाज में घासपात की तरह हर गलीमोहल्ले में उगने वाले छोटेमोटे पोंगेपंडितों से ले कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक फैले बाबा और गुरु ही आज डिसाइड करते हैं कि धर्म क्या है और आगे क्या होगा?
आप खुद ही सोचिए कि किसी बाबा के सम्मेलन में लाखों की तादाद में लोग जमा होते हैं और अपनी मेहनत की कमाई को लुटा बैठते हैं. अपना कीमती वक्त और बेशकीमती विश्वास उन्हें सौंपते हैं. जिन का नाम ले कर हजारों लोग रोज अपना दिन शुरू करते हैं, फ्लाइट पकड़ते हैं और यह सोच कर निश्चित रहते हैं कि बाबा हैं न. उन के साथ कुछ गलत नहीं होने देंगे. वही बाबा जब अपनी और अपने परिवार की भी रक्षा नहीं कर पाते तो क्या होता है उस विश्वास का? कैसे समझाते हैं ये लोग खुद को?
ऐसी घटनाएं सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि क्या हजारोंलाखों लोगों की श्रद्धा इतनी अंधी है कि कुछ भी देखनासमझना नहीं चाहती? या क्या इस के पीछे महज श्रद्धा काम करती है? क्या सब लोग श्रद्धा के वशीभूत ही वहां पहुंचते हैं?
यदि नहीं तो फिर वह क्या चीज है, कैसी सोच है, कैसी भावना है जो इतने सारे लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या और सीमित आय में भी उन का हिस्सा रखते हैं?
फंस तो गए
श्रद्धा का तो पता नहीं, लेकिन ज्यादातर लोग एकजैसी मानसिक स्थिति में वहां जरूर होते हैं. उन की सोचनेसमझने की शक्ति पर अटैक ही उन का पहला धर्म होता है, फिर बाकी काम आसान हो जाता है.
कमैटी डालने वाले लोग, पौलिसी बेचने वाले दलाल वगैरह लोगों के लिए यह स्थिति परफैक्ट रैसिपी सिद्ध होती है. ऐसे स्थानों पर अपनी दाल पकाने वालों को अपनी फसल उगाने वालों को यहां पर्याप्त मात्रा में उपजाऊ भूमि मिल जाती है.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
पेट है अलमारी नहीं
फ्री का खाना और टेस्ट के चक्कर में पेटू बनने की आदत आप को कितना नुकसान पहुंचा सकती है, क्या जानना नहीं चाहेंगे...
इंटीमेट सीन्स में मिस्ट्री जरूरी..अपेक्षा पोरवाल
खूबसूरती और अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली अपेक्षा का मिस इंडिया दिल्ली से बौलीवुड तक का सफर कैसा रहा, जानिए खुद उन्हीं से...
टैंड में पौपुलर ब्रालेट
जानिए ब्रालेट और ब्रा में क्या अंतर है...
रैडी टु ईट से बनाएं मजेदार व्यंजन
झटपट खाना कैसे बनाएं कि खाने वाले देखते रह जाएं...
संभल कर करें औनलाइन लव
कहते हैं प्यार अंधा होता है, मगर यह भी न हो कि आप को सिर्फ धोखा ही मिले...
बौलीवुड का लिव इन वाला लव
लिव इन में रहने के क्या फायदेनुकसान हैं, इस रिलेशनशिप में रहने का फायदा लड़कों को ज्यादा होता है या लड़कियों को, आइए जानते हैं...
ग्लोइंग स्किन के लिए जरूरी क्लींजिंग
जानिए, आप अपनी स्किन को किस तरह तरोताजा और खूबसूरत रख सकती हैं...
करें बातें दिल खोल कर
भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक सच्चा दोस्त जरूरी है, मगर मित्र बनाते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें...
क्रेज फंकी मेकअप का
अपने लुक के साथ ऐसा क्या करें जो पारंपरिक मेकअप से अलग हो...
दिखेगी बेदाग त्वचा
गर्ल्स में ऐक्ने की समस्या आम होती है. यह समस्या तब और पेरशान करती है जब किसी पार्टी में जाना हो या फिर फ्रैंड्स के साथ आउटिंग पर बहुत सी लड़कियां दादीनानी के घरेलू उपाय अपनाती हैं लेकिन इन से ऐक्ने जाते नहीं.