Panchjanya - January 15, 2023Add to Favorites

Panchjanya - January 15, 2023Add to Favorites

Magzter Gold ile Sınırsız Kullan

Tek bir abonelikle Panchjanya ile 9,000 + diğer dergileri ve gazeteleri okuyun   kataloğu görüntüle

1 ay $9.99

1 Yıl$99.99 $49.99

$4/ay

Kaydet 50%
Hurry, Offer Ends in 16 Days
(OR)

Sadece abone ol Panchjanya

bu sayıyı satın al $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Hediye Panchjanya

Bu konuda

विशेष साक्षात्कार - ‘स्वत्व पर डटे रहना संघ की परीक्षा’ रा. स्व. संघ

'यह दिशा और स्वत्व पर अडिग रहने की परीक्षा है'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहा है। राजनीतिक प्रभाव से लेकर महिलाओं की भागीदारी तक कई विषय ऐसे हैं, जो संघ के विरुद्ध प्रचार में प्रयुक्त होते रहे हैं। युवाओं की भागीदारी, तकनीक की भूमिका, एलजीबीटी समुदाय के प्रति दृष्टिकोण, आर्थिक विषय और पर्यावरण से लेकर तमाम विषयों पर लोगों की अपेक्षा रहती है कि संघ अपनी बात रखे और उन्हें एक दिशा दे। सरसंघचालक डॉक्टर मोहनराव भागवत ने पाञ्चजन्य- ऑर्गनाइजर संवाद में हितेश शंकर और प्रफुल्ल केतकर के साथ नागपुर में इन विषयों पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस विशेष वार्ता के कुछ महत्वपूर्ण अंश:

'यह दिशा और स्वत्व पर अडिग रहने की परीक्षा है'

8 mins

जल पर संवाद - धार

पंचमहाभूत की अवधारणा पर पर्यावरण का देशज विमर्श स्थापित करने के दीनदयाल उपाध्याय शोध संस्थान द्वारा उज्जैन में 27 से 29 दिसंबर तक एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 'सुजलाम्' का आयोजन किया गया

जल पर संवाद - धार

10+ mins

विश्व में श्रेष्ठता के प्रसारक

भारतीय ऋषि-मुनियों, धर्मोपदेशकों और आचार्यों ने पूरे विश्व का भ्रमण करते हुए ज्ञान और सत्य का संदेश दिया और सम्पूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाने के अपने धर्म का पालन किया। इन विद्वानों ने ज्ञान, विज्ञान, भाषा, योग, ज्योतिष, खगोल विज्ञान, गणित का ज्ञान विश्व को देकर सुदूर क्षेत्रों तक भारतीय संस्कृति का विस्तार किया

विश्व में श्रेष्ठता के प्रसारक

4 mins

विकसित देशों को दिशा देते प्रवासी भारतीय

प्रवासी भारतीयों ने अपनी मेधा से न सिर्फ अपने देश को उन्नत किया बल्कि जिन देशों में उन्होंने प्रवास किया, उसके उन्नयन में भी प्रमुख भूमिका निभाई

विकसित देशों को दिशा देते प्रवासी भारतीय

6 mins

संसार में सनातन संस्कृति का प्रसार

आज स्वामिनारायण संस्था विश्व के 55 देशों में पहुंच गई है। सनातन संस्कृति को फैलाने के साथ ही यह संस्था शिक्षा, संस्कार, रोजगार और सेवा के अनगिनत प्रकल्पों के माध्यम से समाज को एकसूत्र में बांध रही है

संसार में सनातन संस्कृति का प्रसार

4 mins

भारत माता ही वास्तविक देवी

स्वामी विवेकानंद कहते थे कि चित्त-शुद्धि के लिए अपने चारों ओर फैले हुए असंख्य मानवों की सेवा करो। आपस में ईर्ष्या-द्वेष रखने के बजाय, आपस में झगड़े और विवाद के बजाय, तुम परस्पर एक-दूसरे की अर्चना करो

भारत माता ही वास्तविक देवी

5 mins

'उत्कर्ष' और 'अपराजिता' की गाथा

दिल्ली में यौनकर्मियों हेतु पहली बार 'उत्कर्ष' नाम से एक औषधालय शुरू हुआ, वह उनकी बच्चियों को पढ़ाने हेतु 'अपराजिता' नामक प्रकल्प चल रहा

'उत्कर्ष' और 'अपराजिता' की गाथा

2 mins

वैदिक साहित्य और सरस्वती-सिंधु सभ्यता में सूर्य

सभ्यता के प्रारंभ से ही सूर्य की पूजा की जाती रही है। भारतीय उपमहाद्वीप ही नहीं, प्राचीन विश्व का प्रायः समस्त समाज किसी न किसी रूप में सूर्य की पूजा करता आया है। सूर्य में विशेष रूप से आंखों, त्वचा, दांतों, नाखूनों के पीलेपन को ठीक करने और हृदय रोग के साथ-साथ रक्ताल्पता से राहत देने की अद्भुत शक्ति है

वैदिक साहित्य और सरस्वती-सिंधु सभ्यता में सूर्य

2 mins

न चोला बदलेगा न शातिर मोहरे

केन्द्र सरकार ने भले ही पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया है, पर भीतरखाने यह अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए है और खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में जुटा है

न चोला बदलेगा न शातिर मोहरे

4 mins

मिशनरियों के विरुद्ध फूटा आक्रोश

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में वनवासी समुदाय आंदोलित है। कारण, नारायपुर जिले की एड़का ग्राम पंचायत में कन्वर्जन का विरोध कर रहे वनवासियों पर लाठी-डंडों से लैस ईसाई मिशनरियों ने हमला किया। समाज ने बार-बार पुलिस से शिकायत की, पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

मिशनरियों के विरुद्ध फूटा आक्रोश

5 mins

Panchjanya dergisindeki tüm hikayeleri okuyun

Panchjanya Magazine Description:

YayıncıBharat Prakashan (Delhi) Limited

kategoriPolitics

DilHindi

SıklıkWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

  • cancel anytimeİstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
  • digital onlySadece Dijital