Kadambini - June 2020Add to Favorites

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Kadambini, HT Media’s monthly socio-cultural literary magazine has a legacy of more than 51 years old. Its first editor was Late Shri Balkrishna Rao, a prominent Hindi writer. Following him many well known literary figures like Late Shri Ramanand Doshi, Shri Rajendra Awasthy, Ajenya, Mahadevi Verma & Kunwar Narayan have contributed immensely to the magazine taking it to unscalableheights.Known for its quality content, Kadamini has becomeindispensible with evolved and discerning reader who yearns forsomething ‘intelligent’ to read. It covers a wide range of subjects including literature, art, culture, science, history,sociology, films and health giving fresh perspectives on them to its readers.

ठहरे हुए दिनों में जीवन

जीवन ठहरकर भी नहीं ठहरता। उसके ठहराव में भी गति होती है। यह अलग बात है कि वह हमें दिखाई नहीं देती। इन ठहरे हुए दिनों में जब सब कुछ ठहर-सा गया है, तो बुहत कुछ ऐसा है जो चल रहा है। क्या चल रहा है, यह जानने के लिए हमारे साथी शशिभूषण द्विवेदी ने साहित्य की अलग-अलग शख्सियतों से कुछ बात की तो यह सच सामने आया। दुर्भाग्य से इनके जीवन की यह अंतिम रिपोर्ट थी, जिसका अहसास न इन्हें था और न ही हमें। एक श्रद्धांजलि

ठहरे हुए दिनों में जीवन

1 min

शिक्षा का लॉकडाउन - लॉकडाउन की शिक्षा

इस लॉकडाउन ने जीवन में उथल-पुथल मचाई हुई है। कहीं जिंदगी ठप पड़ी हुई है, तो कहीं ठिठकी हुई है। इन सबके बीच कहीं- कहीं जिंदगी के लिए नए- नए अवसर भी पैदा हो रहे हैं।

शिक्षा का लॉकडाउन - लॉकडाउन की शिक्षा

1 min

आधी आबादी का लॉकडाउन!

स्त्री की जिंदगी शुरू से ही एक दायरे में सिमटी रही है। यह दायरा घर की चारदीवारी रहा है। कभी सुरक्षा के नाम पर, तो कभी आपदा के नाम पर कारण सामने आ खड़े होते हैं। कोरोना से उपजे लॉकडाउन ने सभी को घरों में कैद कर दिया है, लेकिन जिंदगीभर के अघोषित लॉकडाउन को जी रही स्त्रियों के लिए क्या इसके समाप्त होने की भी कोई तारीख है

आधी आबादी का लॉकडाउन!

1 min

उस एकांत को साधना जरूरी है

अपने भीतर के एकांत को साधे बिना इनसान, समाज के लिए कुछ नहीं कर सकता। भीतर से बाहर की यात्रा और बाहर से भीतर की यात्रा जीवन का एक चक्र है। इसके बिना मानव की मुक्ति नहीं। एकांत साधना साधक को 'स्व' से ऊपर उठाकर 'पर' से जोड़ती है और हमारे भीतर के भय को दूर करती है

उस एकांत को साधना जरूरी है

1 min

यहाँ लॉकडाउन मना है

घर में कैद इनसान के लिए टेक्नोलॉजी से बेहतर दोस्त और कोई नहीं हो सकता। यह बात लॉकडाउन ने साबित कर दी है। यह सिर्फ हमारी जरूरतें ही पूरी नहीं करती, हमारा मनोरंजन भी करती है और अकेलेपन से बचाती है -

यहाँ लॉकडाउन मना है

1 min

भविष्य की राजनीति-राजनीति का भविष्य

कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया लॉकडाउन के दौर से गुजर रही है। पूरा जनजीवन इसकी गिरफ्त में है। राजनीति भी इससे अछूती नहीं है। इसके कारण राजनीति के एक नए रूप की संभावना नजर आ रही है। यह संभावना हकीकत में क्या रूप लेगी, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है

भविष्य की राजनीति-राजनीति का भविष्य

1 min

कितना कुछ बदलेगी दुनिया!

कोरोना से उपजे विश्वव्यापी लॉकडाउन से बहुत कुछ बदलेगा। इसका असर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर भी पड़ेगा। एक तरफ चीन, वैश्विक स्तर पर रूस और अमेरिका, विशेषकर अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती दे रहा है, तो दूसरी तरफ दुनिया में भारत को एक नई संभावना के रूप में देखा जा रहा है

कितना कुछ बदलेगी दुनिया!

1 min

अपने-अपने लॉकडाउन

कभी-कभी कोई चीज आपके जीवन में अचानक से आती है और आपकी पूरी दुनिया बदल जाती है। यह बदलना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। कभी-कभी तो यही समझ ही नहीं आता कि यह अच्छा है या बुरा।

अपने-अपने लॉकडाउन

1 min

जादू की झप्पी ना बाबा ना!

सब कुछ अपनी बांहों में समेट लेने को आतुर नौजवान आजकल कुछ निराश हैं। परेशान हैं। उदास हैं। उनके हौसलों की गति भी कुछ कम हुई है, लेकिन उस पर ब्रेक नहीं लगे हैं। घर के भीतर रहकर बाहर के हालात का जायजा ले रही यह पीढ़ी अपने सपनों को नए रूप में आकार देने की मुहिम में जुटी हुई है

जादू की झप्पी ना बाबा ना!

1 min

हमारी संवेदनाओं का लॉकडाउन

यह समय कष्ट का भी है और चुनौती का भी। चुनौती है इनसान बने रहने की। अपने भीतर की आदमियत को बचाए रखते हुए हमें इस संघर्ष से पार पाना है। व्यवस्था का लॉकडाउन भले ही चल रहा है, लेकिन हमें अपनी संवेदना का लॉकडाउन नहीं होने देना है

हमारी संवेदनाओं का लॉकडाउन

1 min

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Kadambini Magazine Description:

YayıncıHT Digital Streams Ltd.

kategoriCulture

DilHindi

SıklıkMonthly

Kadambini, HT Media’s monthly socio-cultural literary magazine has a legacy of more than 51 years old. Its first editor was Late Shri Balkrishna Rao, a prominent Hindi writer. Following him many well known literary figures like Late Shri Ramanand Doshi, Shri Rajendra Awasthy, Ajenya, Mahadevi Verma & Kunwar Narayan have contributed immensely to the magazine taking it to unscalableheights.Known for its quality content, Kadamini has becomeindispensible with evolved and discerning reader who yearns forsomething ‘intelligent’ to read. It covers a wide range of subjects including literature, art, culture, science, history,sociology, films and health giving fresh perspectives on them to its readers.

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