Nandan - March 2020
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Bu konuda
Nandan, HT Media’s monthly Children Magazine is more than 47 years old brand. The magazine was started in November 1964 in the memory of Pandit Jawahar Lal Nehru, with its first issue being dedicated to the late Prime Minister. Over the years it has developed a strong bond with its readers and is extremely popular among children and their families in India and abroad. Taking an edge over other children magazines, Nandan provides a mix of traditional and modern stories, poems, interactive columns, interesting facts and many educative columns, leading to wholesome development of our children. It keeps our children abreast with our cultural ethos, exposes them to latest happenings in and around world and engages them into numerous fun activities, shaping their mind and behavior in a positive way.
जुगाडू चूहा
जब कोई शहरी चूहा जंगल में रहने जाता है, तो पता है उसे क्या कहते हैं ? कम से कम जंगल में रहने वाले नई पीढ़ी के चूहे तो उसे शूहा कहकर बुलाते हैं। तो ऐसा ही एक शूहा है प्यारेलाल । नाम एकदम गांव वाला, पर ठाठ साहबों वाले।
1 min
जानवर भी कर सकते हैं रंगों से कलाकारी
पेंटिंग करने का शौक सिर्फ इनसानों तक ही सीमित नहीं है। अगर जानवरों को ट्रेनिंग दी जाए, तो वे भी कर सकते हैं रंगों से कलाकारी हैरान हो गए न! चलो, आज मिलवाते हैं कुछ ऐसे ही जानवरों से, जो सचमुच में करते हैं कलाकारी।
1 min
चींटी से मुलाकात
गुनगुन शाम को पार्क में अपने हमउम्र दोस्तों के साथ खेलकर लौटी। उसे जोरों की भूख लगी थी। मम्मी खाना तैयार कर रही थीं। चाचाजी बाजार से रसगुल्ले लेकर आए थे। मम्मी ने उसे प्लेट में रसगुल्ले दिए ।
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होली का हुड़दंग
होली है बहुत प्यारा त्योहार। दुश्मनी भूलकर मस्तानों की टोली निकलती है सभी को इंद्रधनुषी रंगों में रंगने के लिए। सभी मिल-जुलकर खाते हैं मीठे-नमकीन पकवान । कुछ बातों को ध्यान में रखकर की जाए हंसी-ठिठोली, तो कभी रंग में भंग नहीं पड़ता।
1 min
रंगीन हो गई होली
जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आ रहा था, चारों ओर उसी की चर्चा हो रही थी। कोई होली पर बनाए व खाए जाने वाले पकवानों की बात कर रहा था, तो कोई होली खेलते वक्त गाए जाने वाले गीतों को याद कर रहा था।
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दोस्ती का रंग
मोहल्ले में फागुन का असर दिखाई देने लगा था। जगह-जगह रंगीन गुब्बारे, सुंदर टोपियां और अबीर-गुलाल बिकने लगे थे।
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आधी रोटी
कालू कौआ बहुत भूखा था। उसने इधर-उधर देखा। सामने एक लड़की रोटी खाने के लिए बैठी थी। उसने रोटी सामने रखी। अपनी सहेली को आवाज दी।
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कीमती उपहार
सूर्यप्रताप नाम का एक राजा था। सालों पहले वह वन-भ्रमण का आनंद लेकरलौट रहा था, तो उसे प्यास लग गई।प्यास के कारण उससे चला नहीं जा रहा था। जंगल में सूर्यप्रताप को एक चरवाहा दिखा। उसने तूंबी में पानी ले रखा था ।
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फुटबॉल का खिलाड़ी
गुनगुनकी मम्मी जैसे ही रसोई से बाहर बरामदे में आईं, तभी धड़ाम से फुटबॉल उनके सिर में लगी। मम्मी कराह उठीं, “हाय! मर गई।” फिर वह गुस्से में भरकर बोली, “गुनगुन! देखकर नहीं खेल सकते क्या ?"
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गड़बड़ सड़बड़
अंशु नल के नीचे हाथ धोने लगा, तो बोला, “ओह! इतना ठंडा पानी।"सर्दी थी, स्कूल बंद थे। कल उसने टीवी में लोगों को बर्फ के गोलों को एक-दूसरे पर फेंकते देखा था। तो उसने सोचा, 'न सही बर्फ, पानी ही सही। उसने अखबार पढ़ती मम्मी पर पानी फेंका, तो वह चिल्लाईं, “अंशु, इतनी ठंड में पानी फेंक रहे हो। यह कौन सा खेल है भाई ?"
1 min
Nandan Magazine Description:
Yayıncı: HT Digital Streams Ltd.
kategori: Children
Dil: Hindi
Sıklık: Monthly
Nandan, HT Media’s monthly Children Magazine is more than 47 years old brand. The magazine was started in November 1964 in the memory of Pandit Jawahar Lal Nehru, with its first issue being dedicated to the late Prime Minister. Over the years it has developed a strong bond with its readers and is extremely popular among children and their families in India and abroad. Taking an edge over other children magazines, Nandan provides a mix of traditional and modern stories, poems, interactive columns, interesting facts and many educative columns, leading to wholesome development of our children. It keeps our children abreast with our cultural ethos, exposes them to latest happenings in and around world and engages them into numerous fun activities, shaping their mind and behavior in a positive way.
- İstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
- Sadece Dijital