Denemek ALTIN - Özgür
ईशा लहर - November 2017

ईशा लहर Description:
In response to the overwhelming demand from Hindi speakers, both within India and abroad, Isha Foundation has launched an exclusive Hindi magazine – Isha Lahar (Isha Wave). This 68-page, monthly magazine in colour, is an endeavour to reach out to all Hindi readers.
Isha Lahar is a monthly Hindi magazine for all those who are willing to live life to the fullest. It offers the extraordinary insights of Sadhguru – a modern mystic and yogi – on various dimensions of life. Sadhguru’s wisdom does not come from books or scriptures but from a profound inner experience, and is therefore of tremendous life-relevance. Each issue addresses significant topics, inviting the reader to perceive life as an endless possibility to be experienced.
With its inspirational articles, Isha Lahar nurtures the innate yet often unconscious longing in every human being to seek the ultimate. It could be a vital tool to enhance one's intensity and growth.
Bu sayıda
जो नदियां लाखों साल से बहती आ रही हैं, जिन्होंने भारत की पुण्य भूमि को सिंचित और पोषित किया, उन्हें हमने एक ही पीढ़ी में नष्ट कर दिया है। अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया तो बहुत देर हो जाएगी, भारत में पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा।
हम अगली पीढ़ी को विरासत के रूप में, एक संघर्ष और अभाव भरा जीवन सौंपकर जाने को विवश होंगे।
जब सद्गुरु ने देश की नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए नदी अभियान की घोषणा की तो कई ईशा साधकों ने सद्गुरु से पूछा कि क्या इस अभियान का आध्यात्मिकता से कोई संबंध है। सद्गुरु ने कहा, ‘अपनी पसंद और नापसंद से ऊपर उठकर वह करना, जो किए जाने की जरूरत है – एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है। आज जब देश की सभी नदियां सूखने की कगार पर खड़ी हैं, और हम एक भयानक जल संकट की ओर बढ़ रहे हैं, तो मैं इस सच्चाई को अनदेखा करके नहीं जी सकता।’
हमारे समय की समस्याएं क्या हैं और उनके समाधान क्या हैं, यह जगजाहिर है, पर प्रश्न यह है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा। नदियों में जान फूंकने की दिशा में छोटे-बड़े स्तरों पर कई कदम उठाए गए हैं, पर इसे समग्रता में कभी संबोधित नहीं किया गया। सद्गुरु द्वारा शुरु किया गया नदी अभियान न सिर्फ पर्यावरण को बेहतर बनाने और नदियों में पानी के कलकल प्रवाह को बारहों मास बनाए रखने की पहल है, बल्कि यह मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने और किसानों की आमदनी को बढ़ाकर उन्हें खुशहाल बनाने की दिशा में भी एक समुचित प्रयास है।
पिछले कुछ महीनों में इस अभियान के जरिये पूरे देश में नदियों की मौजूदा स्थिति तथा उनके बेहतर कल को लेकर एक नयी तरह की जागरूकता पैदा हुई है, तथा नदियों के पुनरुद्धार की सिफारिशी नीति का दस्तावेज केंद्र व राज्य सरकारों को पेश किया गया है। आने वाले समय में इस नीति को लागू करने में राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्तर पर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, पर यही वह उत्तम उपहार होगा, जो हम अपनी आने वाली पीढिय़ों को सौंप सकते हैं।
इस अभियान के पूरे घटनाक्रम को हमने आपसे साझा करने के लिए इस बार के अंक को नदी अभियान डायरी का रूप देने का निर्णय किया है। आशा है कि इस अंक के माध्यम से आप भी इस अभियान से जुडक़र खुद को धन्य महसूस करेंगे। नमन है नदियों को।
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