Modern Kheti - Hindi - January 15, 2024Add to Favorites

Modern Kheti - Hindi - January 15, 2024Add to Favorites

Magzter Gold ile Sınırsız Kullan

Tek bir abonelikle Modern Kheti - Hindi ile 9,000 + diğer dergileri ve gazeteleri okuyun   kataloğu görüntüle

1 ay $9.99

1 Yıl$99.99 $49.99

$4/ay

Kaydet 50%
Hurry, Offer Ends in 9 Days
(OR)

Sadece abone ol Modern Kheti - Hindi

1 Yıl $6.99

Kaydet 73%

bu sayıyı satın al $0.99

Hediye Modern Kheti - Hindi

7-Day No Questions Asked Refund7-Day No Questions
Asked Refund Policy

 ⓘ

Digital Subscription.Instant Access.

Dijital Abonelik
Anında erişim

Verified Secure Payment

Doğrulanmış Güvenli
Ödeme

Bu konuda

Methanol

2028 से भारत नहीं करेगा दालों का आयात

दिसंबर 2027 तक दलहन के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। देश के किसान ज्यादा से ज्यादा अरहर दाल की खेती कर सकें इसके लिए सरकार ने एक बड़ी स्कीम लांच की है।

2028 से भारत नहीं करेगा दालों का आयात

1 min

वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी घटकर हुई 15%

देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी दर में कृषि सैक्टर की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है।

वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी घटकर हुई 15%

2 mins

भारत में भी है कृत्रिम बारिश की तकनीक

भारत ने घोषणा की कि उसके पास क्लाउड सीडिंग विधि का उपयोग करके कृत्रिम बारिश सुनिश्चित करने की तकनीक है, लेकिन वह 'इसे केवल चरम परिस्थितियों में ही उपयोग करेगा' क्योंकि इस तरह के प्रयोग से अन्य भागों की जलवायु पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन, सरकार ने साफ कर दिया है कि अगले पांच साल में मौसम में बदलाव पर फोकस रहेगा।

भारत में भी है कृत्रिम बारिश की तकनीक

2 mins

भारतीय कृषि का डिजिटलीकरण करने की आवश्यकता...

नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर एक शोध में कहा है कि 8-10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखने के लिए कृषि को 4 प्रतिशत या उससे अधिक की दर से विस्तार करना होगा। इसमें अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक, कृषि में AI 2.6 बिलियन डॉलर का होगा और 22.5 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (CAGR) की गति से बढ़ेगा।

भारतीय कृषि का डिजिटलीकरण करने की आवश्यकता...

2 mins

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए तैयार की 'इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी'

वैज्ञानिकों ने एक विद्युत प्रवाहकीय 'मिट्टी' विकसित की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे 15 दिनों में औसतन जौ के पौधों की 50 प्रतिशत अधिक वृद्धि हो सकती है।

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए तैयार की 'इलेक्ट्रॉनिक मिट्टी'

2 mins

गेहूं की नई किस्म विकसित करने वाले प्रगतिशील किसान नरेन्द्र सिंह मेहरा

आज हम आपको एक ऐसे प्रगतिशील किसान के बारे में बताएंगे, जिन्होंने अपने 12 साल के संघर्ष के बल पर नया मुकाम हासिल किया है। जिस किसान की हम बात कर रहे हैं, वह किसान नरेंद्र सिंह मेहरा हैं, जो गेहूं, धान और गन्ना समेत कई फसलों की खेती करते हैं। इसके अलावा इन्होंने खुद ही गेहूं की एक किस्म को विकसित किया है जिसका नाम उन्होंने नरेंद्र 09 रखा।

गेहूं की नई किस्म विकसित करने वाले प्रगतिशील किसान नरेन्द्र सिंह मेहरा

3 mins

पौधा विज्ञानी डॉ. डेविड चार्ल्स बाऊलकोंबे

उनकी खोज दिलचस्पी एवं योगदान विज्ञान के क्षेत्र में मुख्य तौर पर वायरस चाल, आनुवंशिकता नियम, रोग रोकथाम के क्षेत्र में थी। एंड्रयू हैमिस्टन के साथ मिलकर उन्होंने एक छोटे आर एन ए की खोज की जो निश्चित तौर पर जीन नीरवता के लिए जिम्मेदार था।

पौधा विज्ञानी डॉ. डेविड चार्ल्स बाऊलकोंबे

3 mins

जायद मूंग की उन्नत फसल

दलहनी फसल में मूंग एक महत्वपूर्ण है जिसकी खेती समस्त राजस्थान में की जाती है। जायद मूंग की खेती पेटा काश्त वाले क्षेत्रों, जलग्रहण वाले क्षेत्रों एवं बलुई दोमट, काली तथा पीली मिट्टी जिसमें जल धारण क्षमता अच्छी होती है, में करना लाभप्रद होता है। अंकुरण के लिए मृदा में उचित तापमान होना आवश्यक है। जायद मूंग की बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च के मध्य करना उपर्युक्त रहता है। जायद मूंग की अधिक उपज देने वाली किस्मों का चयन करें। जबकि कुछ किस्मों (जैसे - एस. एम. एल. 668 आदि) की बुवाई मार्च के अन्त तक भी कर सकते हैं।

जायद मूंग की उन्नत फसल

3 mins

फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उत्पादन

फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) फसल के रोगों में जड़ सड़न तथा अंगमारी, श्याम वर्ण, पत्तों का कोणदार धब्बा, फ्लावरी लीफ स्पॉट, क्राऊन सड़न, जीवाणु अंगामरी और मौजेक आदि प्रमुख है।

फ्रांसबीन (फ्रेंचबीन) की जैविक खेती: किस्में, देखभाल और उत्पादन

5 mins

अनार की खेती - किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

अनार उष्ण कटिबंधीय एवं उप-उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों की एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फल वाली फसल है। इसका उत्पति स्थान ईरान है। अनार पौष्टिक गुणों से परिपूर्ण, स्वादिष्ट, रसीला एवं मीठा फल है। जिसे देश के शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है। हमारे देश में इसकी खेती मुख्य रुप से महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू एवं उत्तरप्रदेश राज्यों में की जाती है।

अनार की खेती - किस्में, रोपाई, पोषक तत्व, सिंचाई, देखभाल, पैदावार

10+ mins

प्रदूषण रहित ऊर्जा का स्रोत मेथनॉल

जैव ईंधन उद्योग में भारत और चीन एकमात्र प्रतिभागी हैं। जबकि दक्षिणपूर्व एशियाई देश मुख्य रूप से निर्यात पर ध्यान केन्द्रित करते हैं, जबकि भारत और चीन अपने जैव ईंधन कार्यक्रमों को अपने उत्साही आर्थिक विकास को बनाए रखने और पेट्रोलियम निर्भरता को कम करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

प्रदूषण रहित ऊर्जा का स्रोत मेथनॉल

5 mins

बीज से बीज नियन्त्रण आदेश तक

सौभाग्य से 19.09.2023 को मुझे प्रयागराज की यात्रा में ऑल इंडिया एग्री. इनपुट डीलर्स की गोष्ठी में राष्ट्रीय प्रवक्ता जनाब संजय रघुवंशी, उत्तर प्रदेश राज्य के अध्यक्ष श्री अतुल त्रिपाठी जी एवं सुरेश वर्मा कन्नौज उपाध्यक्ष से मिलने का अवसर मिला और इस समय मुझे भी बीज कानून विषय पर बोलने का अवसर मिला। इस अवसर पर मैंने अपने उदबोधन में बताने का प्रयास किया कि बीज उद्योग बीज उत्पादन विषय लेकर चला था और बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तक की यात्रा कैसे की?

बीज से बीज नियन्त्रण आदेश तक

6 mins

गेहूँ की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, लक्षण और उपचार

लगभग पांच दशक पहले जब से हरित क्रांन्ति का आगमन हुआ है तब से हमारे किसान भाई अधिक उपज वाली फसलों का उत्पादन निरन्तर करते आ रहे हैं। परन्तु जिस गति से मृदा से पोषक तत्वों का शोषण हो रहा है उस गति से हम खेत में उनकी आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं।

गेहूँ की खेती में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, लक्षण और उपचार

4 mins

भारत के लकड़ी के पेड़: व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों और उद्योगों में उनके महत्व की खोज

लकड़ी के पेड़ की प्रजातियों और उनके आवासों को संरक्षित करने के महत्व को गले लगाना महत्वपूर्ण है। विभिन्न उद्योगों में उनके महत्व को महत्व देकर और टिकाऊ प्रथाओं को लागू करके, हम भारत के जंगलों और जैव विविधता के संरक्षण को बढ़ावा देते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित कर सकते हैं।

भारत के लकड़ी के पेड़: व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों और उद्योगों में उनके महत्व की खोज

4 mins

Modern Kheti - Hindi dergisindeki tüm hikayeleri okuyun

Modern Kheti - Hindi Magazine Description:

YayıncıMehram Publications

kategoriBusiness

DilHindi

SıklıkFortnightly

Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.

  • cancel anytimeİstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
  • digital onlySadece Dijital