Modern Kheti - Hindi - 1st February 2024
Modern Kheti - Hindi - 1st February 2024
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Bu konuda
Farmer Problem
भारत सरकार मक्के पर दे रही है ध्यान
भारत गेहूं और चावल के बाद मकई को अगली बड़ी व्यावसायिक फसल के रूप में देख रहा है, ताकि बंपर पैदावार के माध्यम से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके, जिसका उपयोग देश के ईंधन-मिश्रण कार्यक्रम के लिए इथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है।
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क्या नैनो यूरिया कर सकता है कृषि उत्पादन बरकरार?
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिकों ने नैनो यूरिया को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा और किसानों का खुला शोषण बताया।
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चावल के लिए पहला स्पीड ब्रीडिंग प्रोटोकॉल विकसित किया
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने चावल के लिए एक मजबूत, पहला त्वरित प्रजनन प्रोटोकॉल विकसित किया है, जो एक वर्ष में चावल की 4 से 5 फसलें प्राप्त करेगा। अब तक प्रजनन कार्यक्रमों में जो संभव हुआ है उससे लगभग दोगुना। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती विश्व आबादी की जरूरतों से निपटने के लिए चावल की नई उन्नत किस्मों के प्रजनन में तेजी लाने के लिए यह प्रोटोकॉल महत्त्वपूर्ण होगा।
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मशरूम में है कोविड से लड़ने की क्षमता
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मशरूम से प्राप्त 13 जैव सक्रिय यौगिकों का अध्ययन यह जानने के लिए किया है कि क्या वो उस वायरस को रोकने में मददगार हो सकते हैं, जो कोविड-19 का कारण बनता है। साथ ही क्या वो शरीर में इसके कारण होने वाली समस्याओं जैसे फेफड़ों के संक्रमण, साइटोकिन स्टॉर्म, थ्रोम्बोटिक और कार्डियोवैस्कुलर प्रभावों और सूजन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
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चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा होगा लाभदायक
ट्राइकोडर्मा कई मिट्टी-जनित पौधों के रोगजनकों को दबाने में प्रभावी साबित हुआ है और फसल उत्पादन में एक सफल जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
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अब रोबोट तोड़ेंगे चाय की पत्तियां!
कोलकता स्थित सी.डैक के प्रमुख आदित्य कुमार सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि चाय की चुनिंदा पत्तियों को तोड़ने के लिए एक बेहतरीन रोबोटिक प्लकर विकसित किया जा रहा है, जो पूरी दुनिया भर में एक पहला प्रयास है। इसके लिए लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं।
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खेती में तकनीक की मदद से कमाल करने वाले किसान चंद्र प्रकाश मिश्रा
दस साल में एक करोड़ तक की कमाई करनी है क्योंकि अमरूद के पेड़ की लाइफ़ दस साल तक होती है। इसके बाद अन्य फलों की खेती की जाएगी। चंद्र प्रकाश मिश्रा खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सहित पम्पसेट चालू करने के लिए रिमोट का प्रयोग करते हैं।
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पौधा विज्ञानी डॉ. डेविड चार्ल्स बाऊलकोंबे
एंड्रयू हैमिस्टन के साथ मिलकर उन्होंने एक छोटे आर एन ए की खोज की जो निश्चित तौर पर जीन नीरवता के लिए जिम्मेदार था। उनके ग्रुप ने दिखाया कि जहां वायरस जीन नीरवता को बढ़ाते हैं, वहां कुछ वायरस प्रोटीन की मौलिकता बदल कर नीरवता पैदा करते हैं।
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किसान भाई कैसे करें, अच्छे बीज का चुनाव
किसान भाईयों को बीज क्रय करते समय बीजक (रसीद) अवश्य लेना चाहियें एवं बुवाई करने वाले बीज की कुछ मात्रा नमूने के तौर पर अपने पास रख लेनी चाहिये। साथ ही साथ पैकिंग बैग एवं टैग भी तब तक सुरक्षित रखें जब तक फसल का उत्पादन पूर्ण न हो जायें।
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बैंगन की खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, उसके बाद 3 से 4 बार हैरो या देशी हल चलाकर पाटा लगायें भूमि की प्रथम जुताई से पूर्व गोबर की खाद सामान रूप से बिखेरनी चाहिए। यदि गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो खेत में पहले हरी खाद का उपयोग करना चाहिए। रोपाई करने से पूर्व सिंचाई सुविधा के अनुसार क्यारियों तथा सिचाई नालियों में विभाजित कर लेते हैं।
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बागानों में मिट्टी परख का महत्व
बढ़िया बागबानी के लिए मिट्टी परख प्रोग्राम का पहला कदम है, मिट्टी के नमूनों का वैज्ञानिक ढंग से इकट्ठा करना। फिर मिट्टी के नमूनों का प्रयोगशाला में विश्लेषण करके इनके नतीजों के आधार पर बागबानी फसलों के लिए आवश्यक सिफारिशें की जाती हैं।
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फसलों में फर्टिगेशन (टपक सिंचाई) एवं उससे होने वाले लाभ
आज भारत में फसलों की सिंचाई, उद्योग, आवास और बढ़ती जनसंख्या के कारण जल, जंगल और जमीन भारी दबाव में है। विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ-साथ हमें खाद्यान्न पूर्ति के लिए नई-नई तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा, जिसमें सिंचाई की नयी पद्वतियाँ, उन्नतशील प्रजातियाँ, मृदा को बिना हानि पहुंचाने वाले उर्वरक, ऊर्जा का समुचित उपयोग व खाद्यान्न गुणवत्ता को बनाये रखने आदि की ओर ध्यान देना होगा।
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कृषि संकट को अलग संदर्भ से समझने की आवश्यकता...
पंजाब के कृषि संकट को समझने के लिए इसको केवल कृषि संकट नहीं कहा जा सकता और इसको सिर्फ गाँव या पंजाब तक सीमित करके नहीं समझा जा सकता। यह संकट सिर्फ कृषि का संकट भी नहीं है। यह विश्वी पूंजी की गिरफ्त में आई कम विकसित आर्थिकताओं के संकट का एक दिखावा है। यह भी समझना गलत है कि यह सिर्फ पंजाब की किसानी से जुड़े लोगों का संकट है और बाकी की श्रेणियों के लोग इससे अछूते रह जाएंगे।
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औषधीय मशरूम और मानव स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव
मशरूम प्रकृति की ओर से मनुष्टय को दिया गया एक अद्भुत जादुई उपहार है। मशरूम सदियों से विभिन्न संस्कृतियों में पारंपरिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग रहा है। भारत में औषधीय मशरूम का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है, जहां उन्हें उनके चिकित्सीय गुणों के लिए महत्व दिया जाता था।
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पौध उत्तक संवर्धन उद्यानिकी फसल प्रवर्धन का नया आयाम
आधुनिक युग में विभिन्न प्रकार की उपयोगी एवं उच्च कोटि के गुणों वाले उद्यानिक पौध प्रजातियों तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में पौधों के जनन द्रव्य को उत्तक संवर्धन सहायता से विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। इस तकनीक द्वारा विभिन्न उपयोगी पौधों के जनन द्रव्य को द्रव नत्रजन में - 196 डिग्री सेल्सियस पर लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
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खाद्य संरक्षण का महत्व एवं हमारे दैनिक जीवन में जरूरत
खाद्य पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित कर या अपरिवर्तित रखकर इनके पोषक तत्व एवं विटामिन को यथा संभव बनाये रखते हुए बिना विकृति के दीर्घकाल तक सुरक्षित रखने की विधियों एवं तकनीकों को परिरक्षण कहा जाता है। खाद्य-पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित करके ही हम अधिकांश परिरक्षित फलों एवं सब्जियों को लम्बे समय तक सुरक्षित उत्पादन करते हैं जैसे-जैम, जेली, कैचप, विभिन्न फल पेय, अचार, सॉस, चटनी आदि।
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सफेद बटन मशरूम की मुख्य-मुख्य जैविक और अजैविक समस्याएँ तथा उनका निदान
सफेद बटन खुम्ब का ज्यादातर उत्पादन शरद ऋतु में किया जाता हैं बल्कि कुछ खुम्ब उत्पादक वातानुकूलित नियंत्रित कक्षों में सारा वर्ष इस मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। यह एक नकदी फसल है और दूसरी नकदी फसलों की तरह इसमें भी कुछ जैविक तथा अजैविक समस्याएँ देखी जाती हैं जिनका मशरूम उत्पादकों को ज्ञान नहीं होता। कई बार मशरूम उत्पादक को सही ज्ञान न होने से आर्थिक हानि की आशंका बनी रहती है।
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बहार ऋतु की मक्का की काश्त में पानी की बचत के नुक्ते
गेहूँ और धान के अलावा मक्का की फसल की काश्त बहुत महत्वपूर्ण है। मक्का भिन्न-भिन्न जलवायु में होने वाली महत्वपूर्ण फसल है।
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Yayıncı: Mehram Publications
kategori: Business
Dil: Hindi
Sıklık: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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