Uday India Hindi - January 09, 2022Add to Favorites

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January 09, 2022

मालेगांव बम धमाके में सेकुलर ताकतों की साजिशें हुई बेनकाब

मालेगांव बम धमाकों में योगी आदित्यनाथ को फंसाने की थी साजिश?

मालेगांव बम धमाके में सेकुलर ताकतों की साजिशें हुई बेनकाब

1 min

नए भारत का नया लेबर कोड

लेबर लॉ

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1 min

हिन्दू देह है और हिन्दुत्व उसकी आत्मा

हिन्दू और हिन्दुत्व-- दोनों संज्ञा शब्द हैं। 'हिन्दू' जातिवाचक संज्ञा है जो एक जाति-धर्म विशेष में जन्म लेने वाले सभी मनुष्यों का बोध कराती है। यह संज्ञा हिन्दू परिवार में जन्म होते ही व्यक्ति को स्वतः प्राप्त हो जाती है और तब तक बनी रहती है जब तक वह किसी विशेष कारणवश स्वयं इस का त्याग नहीं कर देता है।

हिन्दू देह है और हिन्दुत्व उसकी आत्मा

1 min

प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का बढ़ता महत्व और विरोधी दलों की सेलेक्टिव राजनीति

उत्तर प्रदेश में अब मातृशक्ति त्तर प्रदेश की राजनैतिक गहमागहमी के दौर में अब मातृशक्ति भी राजनीति की मुख्यधारा में आ गयी है। जब से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की कमान अपने हाथों में ली है तब से वह प्रदेश में महिलाओं के मुददों को जोर-शोर से उठाकर अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं। प्रियंका गांधी की कमान में कांग्रेस ने पहली बार प्रदेश की महिलाओं के लिए अलग चुनाव घोषणा पत्र पेश किया है और महिलाओं को बंजर जमीन में 40 फीसदी टिकट देने सहित कई बड़े-बड़े वायदे किये हैं। प्रियंका गांधी ने लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा भी दिया है। लेकिन कांग्रेस के साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह रहा है कि अभी जब कर्नाटक विधानसभा में एक कांग्रेसी विधायक ने यह कहकर, 'अगर रेप नहीं रोक सकते तो लेटिये और आनंद लीजिये', घटिया बयान दिया वह भी विधानसभा के अंदर। इस बयान पर भारी हंगामा हो जाने के बाद भी प्रियंका गांधी कोई खास कदम नहीं उठा सकीं और केवल क्षमा याचना तक ही सीमित रह गयीं। वैसे भी कांग्रेस पार्टी का इतिहास भरा पड़ा कि वह किस प्रकार से महिलाओं के साथ भेदभावपूर्ण व सेलेक्टिव राजनीति करती है।

प्रदेश की राजनीति में महिलाओं का बढ़ता महत्व और विरोधी दलों की सेलेक्टिव राजनीति

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शादी की उम्र पर घमासान

विवाह को लेकर तमाम धर्म अपने कानूनों का भी हवाला देते हैं, जिनके अपनेअपने मानक भी हैं। जैसे इस्लाम में यौवन प्राप्ति के लिए नाबालिग के विवाह को भी सही माना जाता है। शफीकुरहमान बर्क हों या दूसरे मुस्लिम नेता, विवाह सुधार के कानूनी प्रस्ताव के उनके विरोध की असल वजह उनकी इस्लामी मान्यता ही है। वैसे हिंदू विवाह अधिनियम भी लड़कियों और लड़कों के विवाह के लिए न्यूनतम आयु क्रमशः 18 और 21 साल ही मानता है। वह अपनी किसी संहिता का कभी हवाला नहीं देता।

शादी की उम्र पर घमासान

1 min

संकट ही नहीं हर्ष भी देकर गया बीता साल

इक्कीसवीं सदी के इक्कीसवें वर्ष को अलविदा कहते हुए नए वर्ष का स्वागत हम इस सोच और संकल्प के साथ करें कि हमें कुछ नया करना है, नया बनना है, नये पदचिह्न स्थापित करने हैं। बीते वर्ष की कोरोना महामारी के अलावा मौसमी आपदाओं, आर्थिक असंतुलन, राजनीतिक उठापटक, बर्फीले तूफान, समुद्री चक्रवात, बाढ़ और जंगलों के राख होने एवं धरती के तापमान के बढ़ने की पीड़ाओं, दर्द एवं प्रकोप पर नजर रखते हुए उन पर नियंत्रण पाने का संकल्प लेना है। हमें यह संकल्प करना और शपथ लेनी है कि आने वाले वर्ष में हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जो हमारे उद्देश्यों, उम्मीदों, उमंगों और आदर्शों पर प्रश्नचिह्न लगा दे। कोरोना महामारी की तीसरी लहर यानी ओमीक्रोन की आहट के बीच हमें नये साल में अपनी जीवनशैली को नया रंग और आकार देना है।

संकट ही नहीं हर्ष भी देकर गया बीता साल

1 min

बिना एकीकृत स्वास्थ्य के महामारियां चुनौती देती रहेंगी

कोविड महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अर्थ-व्यवस्था और विकास के सभी संकेतकों के लिए सबकी-स्वास्थ्य-सुरक्षा कितनी जरूरी है। वैज्ञानिक रूप से तो यह पहले से ही ज्ञात था कि एकीकृत स्वास्थ्य कितना अहम है। मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, कृषि और पर्यावरण में सम्बंध भी गहरा रहा है जिसका एक प्रमाण है बढ़ती हुई दवा प्रतिरोधकता। मानव स्वास्थ्य, पशु पालन, कृषि में गैर-जिम्मेदारी और अनुचित ढंग से इस्तेमाल हो रही दवाएं (खासकर कि एंटीबायआटिक, एंटी-वाइरल, एंटी-फंगल और एंटी-पैरासिटिक दवाएं) पर्यावरण में भी जहर घोल रही हैं जिसके कारणवश रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु रोग-प्रतिरोधक हो जाते हैं और सामान्य रोग भी लाइलाज हो सकते हैं।

बिना एकीकृत स्वास्थ्य के महामारियां चुनौती देती रहेंगी

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गुजरात में प्राकृतिक खेती की मुहिम को दिया बल

भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक और कृषि इसका सबसे बड़ा हिस्सा है क्योंकि आज भी तकरीबन 50 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में रहती है। केंद्र सरकार कृषि और किसानों के लिए कई कदम उठा रही है। गत 16 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के आणंद में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान देश के सभी किसानों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने किसानों को उत्पादकता बढ़ाने और रसायनों के इस्तेमाल को कम करने की सीख देते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, 'हमें बीज से लेकर मिट्टी तक सभी प्राकृतिक उत्पादों का उपयोग करके खेती को प्राकृतिक बनाना होगा जिससे उत्पादन अधिक और रसायनों पर हो रहा खर्च कम हो सके।' उनका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाना है जिसके लिए केंद्र सरकार जीरो बजट फार्मिंग के प्रचार के लिए एक कमेटी गठित करेगी।

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