Bu hikaye Nandan dergisinin February 2020 sayısından alınmıştır.
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दुनिया दिमाग की
दिमाग हमारी कल्पना से भी ज्यादा जटिल और दिलचस्प प्राकृतिक रचना है। शरीर की सभी स्वचालित प्रणालियों को दिमाग संचालित करता है। पलकों का झपकना, सांसों का चलना, दिल की रफ्तार तमाम क्रियाएं दिमाग के इशारे पर चलती हैं।
ग्रहों का सौदागर
एक उड़नतश्तरी जूम... म... म...' की आवाज के साथ प्रोफेसर राजन के यान के ऊपर से निकली व उनके आगे-आगे उड़ने लगी। प्रकाश से तीन गुना तेज उड़ती उड़नतश्तरी! प्रोफेसर को यह देखकर हैरानी हुई कि वह यान पृथ्वी के 70 कॉलोनी ग्रहों में से किसी का भी नहीं था। तभी उनके यान की स्क्रीन पर शब्द उभरे, अपने यान का इंजन बंद कर दीजिए। यह हमारे नियंत्रण में है। हम दोस्त हैं। आप हमारे यान में तुरंत आ जाइए।'
सबसे बुद्धिमान है इनसान
चिनगारी ने आदिमानव को आग जलाना सिखाया | फिर मांस पकाकर खाने की शुरुआत हुई। अपनी सोच-समझ से मनुष्य ने प्राकृतिक वस्तुएं जैसे, आग, पानी और हवा के फायदे जाने। और नदियों व झरनों के किनारे बसना शुरू किया।
साइंस हमारे आसपास
विज्ञान हम सबके जीवन से जुड़ा जरूरी हिस्सा है। कई बार किसी भी चीज को देखकर हम एक धारणा बना लेते हैं। उसे फिर जब साइंस की नजर से देखते हैं, तो उसके पीछे का सत्य जानकर हम हैरान रह जाते हैं। आओ, इन मॉडल के जरिए जानें उन रहस्यों को।
हवा से बातें करती है'मैग्लेव'ट्रेन
जरा सोचो कि तुम एक ऐसी ट्रेन में बैठे हो, जो 800 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ रही है और वह भी अपनी पटरी से थोड़ा ऊपर उठकर। यह कोई सपना नहीं, बल्कि मैग्लेव ट्रेन' नामक एक ऐसा सच है, जो चीन और जापान जैसे देशों में साकार हो चुका है औरनिकट भविष्य में हमारे यहां भी दिखाई देगा।
मनु की अंतरिक्ष यात्रा
अंतरिक्ष! मनु को यह शब्द बार-बार अपनी ओर आकर्षित करता। उसने अपनी किताब में पढ़ा था कि कैसे अंतरिक्ष में चीजें बिना किसी रोक-टोक के चलती रहती हैं। ना तो वहां दिन-रात का पहरा है और ना ही किसी दूसरी तरह की रोक-टोक क्लास में टीचरके बनाए अंतरिक्ष के चित्र ने उसके कोमल मन को अपना बना लिया था। वह घर आते-आते अंतरिक्ष के बारे में सोच रहा था। मनु अंतरिक्ष के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहता था।
आजादी के स्मारक
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत 1857 में हुई और इसके 90 साल बाद भारत स्वतंत्र हुआ। इस बीच अनगिनत लोगों ने इस आंदोलन में भाग लिया। भगत सिंह जैसे देशभक्तों ने अपने प्राणों की बाजी लगाई, तो मोतीलाल नेहरू जैसों ने अपना घर इस आंदोलन के नाम कर दिया। कई स्मारक हैं, जो इस आंदोलन की याद आज भी ताजा करते हैं
देशभक्ति की फिल्में
पूरे विश्व में देशभक्ति की फिल्में बनती हैं और पसंद की जाती हैं। खासतौर पर उन देशों में जो कभी न कभी गुलाम रहे हों। देशभक्ति की फिल्में आज के समय में लोगों को याद दिलाती हैं कि इस देश को आजाद कराने के लिए देश के लोगों ने कैसे-कैसे बलिदान दिए हैं।
वर्फेन में है दुनिया की सबसे बड़ी बर्फानी गुफा
ऑस्ट्रिया के वर्फेन में एक ऐसी बर्फानी गुफा है, जहां शिवलिंग जैसी बहुत विशाल आकृति बनती है। गुफा में इसके अलावा कई और भी आकृतियां बनती हैं।
छोटी-छोटी खुशियां
खुश रहना उतना ही जरूरी है, जितना खाना-पीना। छोटी-छोटी चीजों में खुशी ढूंढ़ना भी एक कला है। खेलते-कूदते तुम बच्चों को अकसर कहते सुना गया है कि मुझे टेंशन हो रही है। आओ बताएं कि जिन लोगों ने देश-दुनिया में अपनी अलग जगह बनाई है, वे बचपन में कैसे खुश रहते थे...