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भारत दुर्दशा का यह कैसा मुकाम !
महिलाओं के खिलाफ वहशीपन की हद लांघते अपराधों से देश में बेचैनी मगर जुनूनी समाधान और फटाफट न्याय की मांग कोई हल नहीं
भाजपा की राह में 'आदिवासी' रोड़ा
पार्टी को चुकानी पड़ सकती है रघुवर सरकार की नीतियों की कीमत , बीच चुनाव में मुख्यमंत्री पर फोकस की रणनीति बदली
बिहार के चिकित्सा जगत में बिग हॉस्पिटल की दस्तक
पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग में प्रोफेसर सह विभागाध्यक्ष पद्मश्री डॉ विजय प्रकाश सिंह बिहार के चिकित्सा जगत का जाना-माना नाम है ।
बदला सियासत का रंग
खास तरह के भावनात्मक मुद्दे हुए खारिज तो भाजपा हुई पस्त, विपक्षी महागठबंधन को मिला बहुमत
बघेल के लिए एक मौका और या...?
लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बड़े नेता भी नगर निकाय चुनाव में जोर आजमाइश में लगे, कांग्रेस-भाजपा दोनों आधार बढ़ाने की तैयारी में
बघेल के चौके-छक्के
लेकिन पहले साल के बाद कई कड़ी चुनौतियां कर रही हैं इंतजार
बगावत से कमजोर
सुखबीर बादल के तीसरी बार अध्यक्ष बनने से वरिष्ठ नेता नाराज
फारुक की पहेली में फंसा केंद्र
घाटी में नेताओं ने गिरफ्तारी को चुनौती नहीं दी, तो केंद्र भी कदम पीछे खींचने पर मजबूर
दुनिया पर युद्ध का साया
खाड़ी देशों में 80 लाख भारतीय रहते हैं, ऐसे में तनाव बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है
फिलहाल तो गद्दी बरकरार
मंत्रिमंडल विस्तार में देरी और कुछ विवादी स्वरों के बावजूद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सुर्खरू
नाराज नागरिको की आवाज
नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देश भर में विरोध का नजारा अन्ना आंदोलन जैसा, लेकिन सरकार से अभी भी कोई ठोस संकेत नहीं
पेशेवरो खबरदार ! खतरे में है सोशल लाइफ
ऑफिस में काम का दबाव सोख रहा है जिंदगी का रस, थकान बेहिसाब, सेक्स लाइफ घटी, नींद उड़ी, घर-परिवार के लिए वक्त सिकुड़ा
नागरिकता कानून जरुरी, लेकिन एनआरसी कैसे
मुसलमानों को भारत की तासीर से जोड़ने की पुरजोर कोशिश से ही अखंड भारत का सपना पूरा हो सकेगा
ना! कहने की हिकमत
चिली: राष्ट्रपति पिनेरा के राज में दुनिया में सबसे भीषण गैर-बराबरी के खिलाफ पहला गुस्सा तो फूटा सैंतियागो में लेकिन जल्दी ही दूसरे शहरों में फैल गया। यहां जानलेवा पानी के फौवारों का सामना करता एक युवक। अंत में पिनेरा पीछे तो हटे मगर 15 जाने कुरबान हो गईं
देखन में छोटी, लड़ाई बड़ी
चुनाव की घोषणा के साथ सरगर्मियां तेज, केजरीवाल के मुकाबले भाजपा के पास चेहरा नहीं
डॉ.रविशंकर उर्फ बच्चन - सिंह संघर्ष ने दिलाई सफलता की राह
डॉ. रविशंकर सिंह उर्फ बच्चन सिंह ने छात्र जीवन में ही शिक्षा के क्षेत्र में कॅरिअर बनाने का फैसला ले लिया था! वे कहते हैं कि पहले विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां राज्य सरकार या कुलपति द्वारा गठित कमेटी के जरिए होती थीं
जेएनयू हिंसा से हैरान देश गुस्से में
नकाबपोश हिंसा से देश भर के परिसरों में नौजवानों और समाज का धैर्य टूटा, लंबे अरसे से घुमड़ रहे असंतोष के फूट पड़ने से सरकार के सामने चुनौतियां दरपेश, क्या इससे नई राह निकलेगी?
धार्मिक पहचान के विवाद की नई जमीन
विवादास्पद विधेयक संसद में पारित , विरोध में पूर्वोत्तर जला
जजपा में बागी सुर हुए तेज
उप-मुख्यमंत्री अपने विधायकों के असंतोष से परेशान, मगर भाजपा सरकार को निर्दलीय विधायकों के समर्थन के कारण ख़ास फिक्र नहीं
जन आंदोलन का रूप लेता विरोध
युवाओं के हाथ में कमान, लेकिन हर वर्ग के लोगों का मिल रहा है समर्थन; भाजपा के ज्यादातर सहयोगी दलों ने भी सीएए से किनारा किया
जंगल पर नई दावेदारी
हाल के विधानसभा चुनावों के नतीजे गवाह हैं कि आदिवासी समाज का भाजपा से मोहभंग हुआ,लेकिन असली सवाल यही कि क्या जल, जंगल, जमीन के मुद्दे हल होंगे
चुनैतियों से निपटते बीता साल
कमलनाथ सरकार ने जनता पर मजबूत पकड़ कायम करके भाजपा का भय दूर किया
कैसे टूटे मंदी का दुश्चक्र
सरकार ने माना कि अर्थव्यवस्था की हालत गंभीर, अब देखना है कि वह क्या बड़े कदम उठाती है
कविता की सबसे विश्वसनीय इकाई
उदय प्रकाश बेशक आज कहानी के क्षेत्र में एक स्थापित हस्ताक्षर हैं, पर इससे पहले वे हमारे समय के एक चर्चित कवि हैं।
उथल-पुथल के दौर में साहित्य संसार
गांधी के जीवन, घटनाओं और विचारों के प्रति नए सिरे से रुचि तो बढ़ी ही, सामाजिक प्रश्नों पर जानने समझने की रुचि भी ज्यादा दिखी
5जी से हुवावे को बाहर रखना जरूरी
चीन की कंपनियों की एंट्री राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, कई देशों ने हुवावे को प्रतिबंधित कर दिया
'फिल्म निर्माता और अदाकार दोनों एक साथ होना बेहद चुनौतीपूर्ण'
हर फिल्म इस मामले में आपकी परीक्षा लेती है कि आप उसका संदेश सही अर्थों में कैसे दर्शकों तक पहुंचा पाते हैं
इस उथल-पुथल से उपजे सवाल
नया कानून संविधान और भारत-विचार के विरुद्ध, वरना श्रीलंका, म्यांमार, भूटान के लोगों की चिंता कहां है
इतिहास की गलतियो को सुधारने का रास्ता
नए कानून से भारतीय नागरिकों या मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं, इसलिए अफवाह फैलाना ठीक नहीं
आकाश से पाताल तक, हजारों साल तक
यह वर्ष अब खत्म होने को है और मैं इंतजार कर रहा हूं सोशल मीडिया पर उन भाइयों-बहनों के संदेशों का जो बताते हैं कि हमें ईसाई नववर्ष नहीं मनाना चाहिए, बल्कि भारतीय नववर्ष मनाना चाहिए।