जहां बैक गियर में चढ़ती है जिप्सी,पर्यटकों के लिए रोमांच
प्रदेश के हृदय स्थल नागौर जिले के कुचामन सिटी शहर में स्थित यह किला; निर्माण के बाद आज करीब तीसरी शताब्दी में भी अपनी भव्यता के लिए हर किसी के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
Bu hikaye Rajasthan Diary dergisinin February 2020 sayısından alınmıştır.
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कालगणना का केंद्र है संक्सर
विक्रमादित्य के शासन से पहले युधिष्ठिर संवत, श्रीराम संवत, नक्षत्र संवत और ब्रह्म संवत प्रचलन में थे। कालांतर में विक्रमादित्य के लोकोत्तर प्रभाव से उनके नाम से विक्रम संवत्सर शुरू हुआ।
बीकानेर :जीवंत होली का शहर हुड़दंगी माहौल में आज भी जिंदा है 300 साल पुरानी परंपराएं
होली की हुड़दंग के बीच गाजे-बाजे से निकलती है पुष्करणा समाज के हर्ष जाति के दूल्हे की बारात
दूसरी लहर का कहर
जब देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हों, स्कूल-कॉलेजों में वार्षिक परीक्षाओं की तैयारियां चल रही हों, यातायात के तमाम साधन बहाल हो चुके हों और सड़कों-बाजारों पर शादियों के सीजन वाली रौनक लौट चुकी हो तो किसी के लिए भी यह मानना मुश्किल नहीं होगा कि देश में सबकुछ सामान्य चल रहा है।
किसकी कितनी बिसात
सरकार के कार्यकाल के बीच में यदि कोई उप चुनाव हो तो इसे सियासी पंडित इसे सत्ता का सेमीफाइनल कहते हैं। राजस्थान में तीन सीटों पर होने वाले उप चुनाव को भी राजनीति की जानकार यही नाम दे रहे हैं।
बाबा श्याम के दरबार में नवाया लाखों भक्तों ने शीश
• सज-धजकर विराजे थे बाबा श्याम • भक्तों ने किया अपने आराध्य का दीदार • रवाटूश्यामजी का लक्वी मेला सम्पन्न
बीस में इक्कीस
2020 कोरोना की वजह से हर मोर्चे पर निराशाजनक रहा लेकिन इस मुश्किल दौर में भी राजस्थान की कई शख्सियतों ने चौकाने वाला प्रदर्शन किया
चार दशक पहले ही महाशय धर्मपाल को नागौर खींच लाई पानमैथी की महक
• अमर हो गई महशियां दी हट्टियां.. क्योंकि असली मसाले सच सच...एमडीएच • कोचवान से लेकर एमडीएच के मालिक तक का सफर तय करने वाले गुलाटी का नागौर से था आत्मीय जुड़ाव
गांवों में भाजपा को पंचायती, शहरों में कांग्रेस भारी
लंबे अरसे से यह माना जाता है कि गांवों में कांग्रेस और शहरों में भाजपा की पकड़ मजबूत है लेकिन इस बार के पंचायत व निकाय चुनाव ने इस मिथक को तोड़ दिया है। हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा ने बाजी मारी है जबकि निकाय चुनाव में कांग्रेस भारी पड़ी है।
सिंधु बोर्डर पर किसान
देश की राजधानी दिल्ली की धड़कनें इन दिनों थम सी गई हैं, न जाने क्या होने वाला है। रजाई में दुबके लोग हों, पान की दुकान हो या गली के नुक्कड़ों पर अलाव तापते लोग हों सबचर्चा का विषय है किसान आंदोलन जो कि 26 नवंबर से सिंधु बोर्डर पर घेरा डाले बैठे हुए हैं, इसमें पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश के किसान हैं जो केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं और हमारी पूरी पुलिस फोर्स कभी अश्रु गैस के गोले छोड़कर डरा रही है तो कभी तेज पानी कि बौछार से खदेड़ रही है।
फिर 'ट्रैक पर गुज्जर
राजस्थान सरकार की तरफ से कई बार फैसले किए जा चुके हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा घोषित आंदोलन की तारीख 1 नवम्बर से ठीक पहले 31 अक्टूबर को गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और अशोक गहलोत सरकार के बीच 14 बिंदुओं पर सहमति बनी। संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इस वार्ता में शामिल नहीं हुए, वार्ता में गुर्जर नेता हिम्मत सिंह के गुट के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस बैठक में गुर्जरों के लिए राज्य सरकार ने बड़े निर्णय किए। इसके बावजूद गुर्जर ट्रैक पर उतर गए।