उत्तरप्रदेश
शून्य लागत प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री कृषि ऋषि श्री सुभाष पालेकर जी हैं। इस पद्धति से खेती करने पर किसान भाइयों को रासायनिक खाद, जैविक खाद एवं कीटनाशक आदि खरीदने की आवश्यकता नही पड़ती। इस पद्धति में आपको केवल 10 प्रतिशत पानी और 10 प्रतिशत बिजली की आवश्यकता होती है। साथ ही साथ आप सिंचित और असिंचित दोनों दशाओं में खेती कर सकते हैं। इस पद्धति से एक देशी गाय से 30 एकड़ भूमि पर खेती की जा सकती है।
इस पद्धति के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दू :
- मुख्य फसल की लागत मूल्य अन्तरवर्ती/सह- फसलों के उत्पादन से निकाल लेना एवं मुख्य फसल शुद्ध) मुनाफे के रूप में लेना।
- जो भी संसाधन आवश्यक होते हैं उनको निर्मित अपने खेत-घर में ही करना।
- जो भी संसाधन हम उपयोग में लायेंगे वो जीव, जमीन, पानी एवं पर्यावरण आदि का नुकसान करने वाले नही होने चाहिएं।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती के चार मुख्य स्तम्भ हैं :
1. जीवामृत
2. बीजामृत
3. आच्छादन
4. वाफसा
जीवामृत :
जीवामृत बनाने की विधि :
- 200 लीटर पानी लें। उसमें 5-10 लीटर गोमूत्र मिलायें।
- 10 किलोग्राम देशी गाय का गोबर-1 किलोग्राम गुड़- 1 किलोग्राम बेसन (चना, लोबिया, अरहर का ) मिलायें।
- खेत के मेंड़ या फसल के जड़ से चिपकी हुई एक मुट्ठी मिट्टी मिलायें।
इस घोल को घड़ी की सूई की दिशा में लकड़ी के डण्डे की सहायता से धीरे-धीरे घोलिये।
इसके पश्चात बोरी से ढक कर रात-भर रहने दें। घोल को बारिश के पानी व प्रकाश से बचायें। अब इस घोल को 48 घण्टे तक खुले स्थान पर रखें। अगर शीत लहर है तो 4 दिन तक रहने दें। सुबहशाम एक मिनट के लिये घड़ी की सूई की दिशा में घोलिये। 48 घंटे के बाद अथवा 4 दिन बाद उपयोग करें। किसान भाई यहाँ यह अवश्य ध्यान दें कि जीवामृत तैयार होने के बाद 14 दिन तक इसका उपयोग कर सकते हैं। परीक्षणों से यह सिद्ध हो चुका है कि सर्वोत्तम परिणाम 7 से 10 दिन तक ही मिलते हैं।
नोट :
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th August 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th August 2022 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।