बीज कृषि की रीढ़ है। कृषि के हजारों वर्षों के इतिहास पर दृष्टि डालें तो पता लगता है कि कैसे मनुष्य ने अपनी समझ एवं अनुभव से जंगलों से ढूँढ कर फसलों का चयन किया और इन फसलों की खेती के बारे में महारत हासिल की। 100 वर्ष पहले परंपरागत, जिसको अब देसी बीज भी कहा जाता है, बीज ही बोए और संभाले जाते थे। बीज विज्ञानी भी इन बीजों से ही प्राकृतिक तौर पर परंपरागत ढंगों से नये एवं संशोधित बीज तैयार करते थे । कृषि इतिहासकारों के अनुसार पहला हाईब्रिड बीज ब्रिटिश बागवानी के एक माहिर थोमस फेयरचाईल्ड ने 18वीं सदी के पहले मध्य में की थी जिसको करीब 200 वर्ष बाद चार्ल्स डार्विन एवं ग्रेगोर मंडल ने 20वीं सदी के तीसरे दशक में व्यापारिक स्तर पर मक्का की क्रास - ब्रीडिंग के द्वारा प्रचलित किया जिसका परिणाम यह है कि आज अमेरिका सहित लगभग पूरे विश्व में मक्का समेत कई फसलें जिनका प्राकृतिक तौर पर पर- परागण होता है, पूरे विश्व में हाईब्रिड बीजों के द्वारा खेती की जाती है। इस नस्ली सुधार से न सिर्फ नई किस्में पैदा की गईं बल्कि एक ही फसल की अलग-अलग किस्मों की कई कमियां भी दूर की गई। 20वीं सदी के 6वें दशक में बीज विज्ञानी नौरमन बोरलो ने अधिक उत्पादन वाली गेहूँ की किस्में विकसित करके कृषि जगत में एक क्रांति लेकर आए, जिसको हरित क्रांति का नाम दिया गया है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st September 2022 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।