सूरजमुखी की खेती कैसे करें
Modern Kheti - Hindi|15th January 2023
सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है, फूल छोटे होते हैं। तथा उनमें दाना भी कम पड़ता है। जायद में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
सूरजमुखी की खेती कैसे करें

कहा जाता है कि इसके फूल, सूरज की दिशा होने में मुड़ जाने के कारण इसे सूरजमुखी कहा जाता है। यह देश की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। इसका तेल हल्के रंग, अच्छे स्वाद और इसमें उच्च मात्रा में लिनोलिक एसिड होता है, जो कि दिल के मरीजों के लिए अच्छा होता है। सूरजमुखी के बीज में खाने योग्य तेल की मात्रा 48 से 53 प्रतिशत होती है। 

यहां किसान भाइयों के लिए, सूरजमुखी की खेती की जानकारी जलवायु, किस्में, रोकथाम व पैदावार आदि पर जानकारी प्रदान की जाएगी, जिसका पीछा कर के किसान इस फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है। सूरजमुखी की खेती के लिए जलवायु और भूमि उपयुक्त जलवायु- सूरजमुखी की खेती खरीफ रबी जायद तीनों मौसम में की जा सकती है। फसल पकते समय शुष्क जलवायु की अति आवश्यकता पड़ती है।

उपयुक्त भूमि- सूरजमुखी की खेती सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है। परन्तु अधिक जल रोकने वाली भारी भूमि उपयुक्त है। निश्चित सिंचाई वाली सभी प्रकार की भूमि में अम्लीय व क्षारीय भूमि को छोड़कर इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। हालाँकि दोमट भूमि सर्वोतम मानी जाती है।

खेत की तैयारी : खेत में पर्याप्त नमी न होने की दशा में पलेवा लंगाकर जुताई करनी चाहियें। एक जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा देशी हल से 2 से 3 बार जोतकर मिट्टी भुरभुरी बना लेनी चाहिए। रोटावेटर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है।

सूरजमुखी की खेती के लिए किस्में : सूरजमुखी की उन्नत और संकर किस्में इस प्रकार हैं, जैसे :

उन्नत किस्में :

बी.एस.एच 1: इस किस्म में तेल की मात्रा 41 प्रतिशत होती है, किट्ट प्रतिरोधक, पौधे की ऊंचाई 130 से 150 सैंटीमीटर रहती है। उपज 10 से 15 क्विंटल है और अवधि 90 से 95 दिन है।

एम.एस.एफ. एस 8: इस किस्म में तेल की मात्रा 42 से 44 प्रतिशत होती है। पौधे की ऊंचाई 170 से 200 सैंटीमीटर होती है। उपज 15 से 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है और अवधि 90 से 100 दिन है।

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