भूमिका : अजोला पानी में तेजी से बढ़ने वाला छोटे बारीक पौधों के जाति का होता है वैज्ञानिक भाषा में फर्न कहा जाता है। अजोला की पत्तियों में एनाबिनानामक नील हरित काई की जाति का एक सूक्ष्मजीव होता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमंडलीय नाइट्रोजन का योगिकीकरण करता है और हरी खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की कमी को पूरा करता है। अजोला की विशेषता यह है कि यह अनुकूल वातावरण में 3 दिनों में ही दोगुना हो जाता है। यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाये तो 300 टन से भी अधिक सेन्द्रीय पदार्थ प्रति हैक्टेयर पैदा किया जा सकता है, यानी 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर प्राप्त करता है। अजोला में 3.5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते है जो भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। पशुओं के लिए वैज्ञानिक प्रबंधन में गुणवत्तापूरक चारे की उपलब्धता प्रमुख बाधा है, क्योंकि भारत का भौगोलिक क्षेत्र विश्व का 2.4 प्रतिशत है जबकि विश्व के 11 प्रतिशत पशु भारत में हैं, यहां विश्व की 55 प्रतिशत भैसें, 20 प्रतिशत बकरियाँ और 16 प्रतिशत मवेशी पाए जाते हैं। इससे हमारी प्राकृतिक वनस्पतियों पर बहुत थोड़ा बोझ पड़ रहा है। अब तक अजोला का इस्तेमाल मुख्यतः धान में हरी खाद के रूप में किया जाता है। इसमें छोटे किसानों हेतु पशुपालन के लिए चारे हेतु बढ़ती मांग को पूरा करने की भरपूर क्षमता
अजाला के लाभ:
1. अजोला जंगल में आसानी से उग आता है। लेकिन नियंत्रित वातावरण में भी उगाया जा सकता है।
2. अजोला को खरीफ और रबी दोनों मौसमों में हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
3. यह वायु मंडलीय कार्बन डाईआक्साइड और नाइट्रोजन को क्रमश: कार्बन हाईट्रेट और अमोनिया में बदल सकता है और अपघटन के बाद फसल को नाइट्रोजन उपलब्ध कर पाता है तथा मिट्टी में जैविक कार्बन सामग्री उपलब्ध करवाता है।
4. ऑक्सीजेनिक प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न ऑक्सीजन फसलों की जड़ प्रणाली और मिट्टी में उपलब्ध अन्य सूक्ष्म जीवों को श्वसन में मदद करता है।
5. धान के खेत में अजोला छोटी-मोटी खरपतवार जैसे घास और निटेलाको भी दबा देता है।
6. अजोला से पौधों की लंबाई और विटामिन छोड़ता है, जो धान के पौधों के विकास में सहायक होता है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st April 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st April 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।