कौशल की कमी कृषि यंत्रीकरण में बाधक है
Modern Kheti - Hindi|1st June 2023
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) द्वारा हाल ही में जारी श्वेत-पत्र के अनुसार भारत में कृषि मशीनरी उद्योग लघु एवं सीमांत किसानों की मांगों को पूरा करने में उल्लेखनीय चुनौतियों का सामना कर रहा है।
बोरनाली भंडारी लक्ष्मी जोशी
कौशल की कमी कृषि यंत्रीकरण में बाधक है

कृषि मशीनरी उद्योग मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों की चुनौतियों से घिरा है। भारत में कृषि मशीनीकरण 40-45% के स्तर के साथ शेष विश्व की तुलना में पिछड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में यह 95%, ब्राजील में 75% और चीन में 57% है। भारत में कृषि मशीनीकरण के निम्न स्तर के साथ ही कौशल की कमी और प्रौद्योगिकी एवं मशीनरी प्रबंधन के बारे में किसानों में जागरूकता की कमी कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिये उल्लेखनीय बाधाएँ उत्पन्न करती है। कौशल की कमी एक गंभीर मुद्दा है जो इस उद्योग के लिये 'low-equilibrium trap' (रिचर्ड आर. नेल्सन द्वारा विकसित एक आर्थिक अवधारणा) का निर्माण करता है। उद्योग पिरामिड के निचले स्तर पर ग्रामीण शिल्पकार सबसे बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो मुख्य रूप से कृषि मशीनरी की आपूर्ति, मरम्मत एवं रखरखाव के माध्यम से भारतीय किसानों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।

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मृदा में नमी की जांच और फायदे
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