भारत विश्व में खाद्य तेलों के बड़े उत्पादक तथा उपभोक्ता देशों में से एक हैं। आदिकाल से ही तिलहनी फसलों एवं भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। खाद्य तेलों की आर्थिक दुनिया में भारत का एक स्थान संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन व ब्राजील के बाद चौथा सबसे बड़ा खाद्य तेल आर्थिक शक्ति के रूप में हैं। भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में क्षेत्रफल एवं उत्पादन की दृष्टि से तिलहनी फसलें अनाज वाली फसलों के बाद दूसरा महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। जलवायु की विभिन्नता के कारण भारत में कई तिलहनी फसलें ऊगाई जाती हैं। खरीफ तिलहनी फसलों में सोयाबीन, मूँगफली, तिल व अरण्ड इत्यादि मुख्य हैं। खरीफ तिलहन फसलों का उत्पादन वनस्पति तेल एवं औद्योगिक प्रयोग के लिए किया जाता है। तेल के उपयोग के आधार पर इनको 2 भागों में बाँटा गया है : (1) खाद्य तेल-जिसमें मूँगफली एवं सोयाबीन शामिल हैं। (2) गैर खाद्य तेल या औद्योगिक तेल-जिसमें मुख्यता अरण्ड शामिल हैं। भारत में प्रतिवर्ष लगभग 16.8 लाख मीट्रिक टन खाद्य तेल का आयात किया जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल का सेवन बढ़कर 18 किलो तक पहुँच गया है जो अभी भी दुनिया की प्रति व्यक्ति खाद्य तेल सेवन की औसत का 24.7 किलो से कम है।
भारत में उत्पादित की जाने वाली विभिन्न खरीफ तिलहन फसलों का फसलवार क्षेत्रफल, उत्पादन एवं उत्पादकता का विवरण निम्नवत् है:-
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th June 2023 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।