
देश में आजादी के बाद अनाज की पैदावार बढ़ाने पर बहुत जोर दिया गया ताकि इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्राप्त किया जा सके। अधिक उत्पादन देने वाली किस्में एवं संशोधित बीज, नई तकनीक, रासायनिक खादें, कीटनाशक, सिंचाई के स्रोत इत्यादि का प्रयोग एवं किसानों का कठिन परिश्रम एवं सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण 60 के दशक में हरित क्रांति आई और देश अनाज के क्षेत्र में स्वैः निर्भर हो गया। इस समय हमारे देश के कुल घरेलू उत्पादन में कृषि क्षेत्र का लगभग 14 प्रतिशत योगदान है और देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर करती है। यही नहीं बल्कि देश के कुल निर्यात में भी लगभग 12 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र की वस्तुओं का है। स्टैपल फूड के तौर पर प्रयोग की जाने वाली दो फसलें गेहूं एवं चावल की भारत में 2015-16 में पैदावार क्रमवार 94040 हजार टन एवं 103372 हजार टन रही। इसके बावजूद भी इंडिया हैल्थ रिपोर्ट 2015 के अनुसार हमारे देश में पांच वर्ष से कम आयु वाले करीब 17 मिलियन बच्चे भूखमरी का शिकार हैं। बच्चा पैदा करने योग्य आयु की लगभग 48 प्रतिशत महिलाएं एवं पांच वर्ष से नीचे की आयु के 75 प्रतिशत बच्चे अनीमक हैं। विश्व भूख सूचक आंकड़े (ग्लोबल हंगर इंडैक्स) 2016 की रिपोर्ट के अनुसार कुल 118 देशों में भारत का 97वां स्थान है जो कि देश में भूख की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। दूसरी तरफ यह भी सच्चाई है कि विश्व में मानव खपत के लिए उत्पादित लगभग 1.3 बिलियन टन खाद्य आहार प्रत्येक वर्ष नष्ट होता है। इस तरह प्रत्येक वर्ष लगभग 1.4 बिलियन हैक्टेयर भूमि अर्थात विश्व का 28 प्रतिशत कृषि क्षेत्रफल उन खाद्य पदार्थों के उत्पादन में प्रयोग किया जाता है जो कि व्यर्थ हो जाता है। आर्थिक तौर पर यह नुक्सान प्रत्येक वर्ष करीब 750 बिलियन डॉलर का है। इतना ही नहीं, इस बर्बादी से पैदा कार्बन की मात्रा 3.3 बिलियन टन प्रति वर्ष है जो आसपास प्रदूषण फैलाती है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st July 2023 sayısından alınmıştır.
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
कंपनियों के झूठे प्रचार ने पंजाबियों को दूध, लस्सी और घी से दूर कर दिया है। रात को सोने से पहले एक गिलास दूध पीना पुरानी बात हो गई है।

गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
परिचय : अरवी की खेती उत्तरी भारत में नगदी फसल के रूप में की जाती है। इससे प्राप्त घनकंदों तथा गांठों का प्रयोग शाक की तरह करते हैं।

पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
केरल कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग ने तरबूज की ऐसी किस्म विकसित की है, जो अपने रंग और बिना बीजों की वजह से चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, नई किस्म के तरबूज का गुद्दा लाल की बजाये ऑरेंज कलर का है।

कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
सूरजमुखी विश्व की प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मूल स्रोत उत्तरी अमेरिका है।