जान-पहचान
इस में कोई संदेह नहीं है कि खोज ने कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। कृषि में व्यापक खोज ने सुधारी प्रणाली को विकसित करने में सहायता की है। इन योजनाबद्ध प्रयोगों के द्वारा किसानों की समस्याओं के सही समाधान ढूँढने में सहायता करता है।
इस आधुनिक युग में, बाहरी ऊर्जा के निवेश को कम करने एवं नवीनीकरणीय स्रोतों के साथ गैर-नवीनीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बदलने के लिए टिकाऊ कृषि की शुरुआत की जा रही है। हालाँकि टिकाऊ कृषि उपलब्ध स्रोतों के संतुलित प्रयोग पर निर्भर करता है, टिकाऊ फसल उत्पादन की अनेक चुनौतियां हैं और उनमें से कुछ नीचे लिखीं हैं :
जनसंख्या बढ़ोतरी : बढ़ती आबादी सीधे तौर पर कृषि प्रणाली पर अधिक उत्पादन के लिए बहुत दबाव डाल रही है। इसलिए यहाँ टिकाऊ फसल उत्पादन को पर्यावरण के प्रभाव को कम करने के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है।
जलवायु परिवर्तन : बढ़ता तापमान, वर्षा के पैटर्न में तबदीली, इत्यादि फसलों के उत्पादन के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां हैं। कुछ अनिश्चितताएं जैसे कि सूखा, गर्मी की लहरों, नये कीड़े एवं बीमारियों के फैलने के कारण फसल के उत्पादन में रुकावट आती है। टिकाऊ कृषि को लचकदार फसलों की किस्मों, कुशल सिंचाई प्रणाली एवं अन्य बहुत कुछ विकसित करके इन जलवायु परिवर्तनों के अनुकूल होने के लिए काफी लचकदार होना चाहिए।
पानी की कमी : पानी के अधिक दुरुपयोग के कारण पानी की कमी चिंता का विषय बन रही है। टिकाऊ फसलों के उत्पादन के लिए कुशल पानी प्रबंधन अभ्यासों जैसे तुपका सिंचाई (Drip Irrigation) वर्षा के पानी से खेती एवं पानी के प्रयोग की कुशलता में सुधार की आवश्यकता होती है।
कुछ और चुनौतियां हैं : सामाजिक : आर्थिक कारक, ऊर्जा की खपत एवं ग्रीनहाउस गैसों का निकास इत्यादि।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st August 2023 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।