हरित क्रांति में उन्नत प्रजातियों के प्रचार व प्रसार के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग होने पर मृदा की उपजाऊपन में बहुत कमी आई है, जो कि अब उतनी उत्पादक नहीं रह गई है, जितनी कि पहले थी। आज इस बात की पहल जरूरी है कि खाद्यान्न को गुणवत्ता युक्त बनाया जाए तथा अन्य उत्पादन की जैविक खेती के द्वारा सुधारा जाये जिसके लिए जैविक खेती आवश्यक है। कृषि उत्पादन में भूमि की उर्वरा शक्ति का अधिक महत्व है। भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखना कार्बनिक खादों से ही संभव है, जिसमें कि अधिक गौड एवं सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जिनकी आवश्यकता पौधों को होती है जिससे मृदा के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों में वृद्धि होती है। इस प्रकार भूमि की उर्वरता बनाये रखने तथा फसल उत्पादन बढ़ाने में कार्बनिक खादों का विशेष महत्व है। जैविक खेती भारतीय कृषि में आदिकाल से जुड़ी हुई है। जैविक खेती उन पद्धतियों में से एक है जो कि विस्तृत एवं विभिन्न प्रकार की होने के साथ-साथ कृषि में स्थानीयपन, वातावरण को सुरक्षित रखने, जैव विविधता में बढ़ावा देने तथा लागत खर्चों को कम करने में सहायक है। जैविक खेती मुख्यतः फसल चक्र, फसल अवशेष, पशु खाद, हरी खाद, प्रक्षेत्र खाद, कम्पोस्ट, जैव उर्वरक, केंचुए की खाद, मृदा आरक्षक फसलें, खलियां तथा कार्बनिक पदार्थों के प्रयोग पर स्थिर है तथा भूमि की उर्वरता को स्थिर रखने, वृद्धि पोषक तत्वों की पूर्ति करने तथा कीट व्याधियों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए जैव पीडक प्रणाली पर विश्वास रखती है।
जैविक खेती का भविष्य भारत में बहुत ही उज्जवल है। जैविक खेती के द्वारा ही भोज्य पदार्थों की गुणवत्ता को बनाये रखा जा सकता है, जिसके द्वारा ही हम अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना कर सकते हैं। जैविक उत्पादित खाद्य पदार्थों की बाजार में कीमत अच्छी मिलने की सम्भावना है जिसे किसान आने वाले समय में उत्पादित कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं
जैविक खेती करने के सिद्धांत
1. फसल चक्र में दलहनी तथा अदलहनी फसलों का प्रयोग करना।
2. मिश्रित खेती के रूप में सघन फसल पद्धति अपनाना।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st August 2023 sayısından alınmıştır.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।