आलू की खेती से पाएं अधिकाधिक लाभ
Modern Kheti - Hindi|September 15, 2023
आलू की खेती अधिकतर कंद लगाकर की जाती है। एक सफल फसल के लिए किस्मों की शुद्धता और स्वस्थ बीज कंद प्राथमिक आवश्यकताएं हैं। कंद बीज रोग रहित, अच्छी तरह से अंकुरित और प्रत्येक का वजन 30-40 ग्राम होना चाहिए। रोपण के लिए संपूर्ण बीज कंद का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
अग्निवेष यादव, सी.एन.राम, सूरज लूथरा, लालू प्रसाद, रमेश राजभर
आलू की खेती से पाएं अधिकाधिक लाभ

परिचय: आलू (सोलनमट्यूबरोसम) विश्व की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है। आलू भारत में उपोष्ण कटिबंधीय परिस्थितियों में उगाई जाने वाली एक शीतोष्ण फसल है। आलू को हम 'गरीबों का दोस्त' कहते हैं। देश में आलू की खेती पिछले 300 साल से भी ज्यादा समय से हो रही है। सब्जी प्रयोजनों के लिए यह इस देश में सबसे लोकप्रिय फसलों में से एक है। आलू एक किफायती तथा मानव आहार के लिए कम लागत वाली ऊर्जा का स्रोत प्रदान करने वाली फसल है। आलू स्टार्च, विटामिन विशेष रूप से विटामिन सी और विटामिन बी 1 और खनिजों का एक समृद्ध स्रोत हैं। इसमें 20.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 2.1 प्रतिशत प्रोटीन, 0.3 प्रतिशत वसा और 1.1 प्रतिशत कच्चा फाइबर होता है। इनमें आवश्यक अमीनो एसिड जैसे ल्यूसीन, ट्रिप्टोफेन और आइसोल्यूसीन आदि भी अच्छी मात्रा में होते हैं।

आलू का उपयोग कई औद्योगिक उद्देश्यों जैसे स्टार्च और अल्कोहल के उत्पादन के लिए किया जाता है। आलू स्टार्च का उपयोग लॉन्ड्री में और कपड़ा मिलों में धागे को आकार देने के लिए किया जाता है। आलू का उपयोग डेक्सट्रिन और ग्लूकोज के उत्पादन के लिए भी किया जाता है तथा इसका उपयोग चिप्स बनाने में भी किया जाता है।

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ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
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एफपीओ: भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान
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खाद्य पदार्थों में मिलावट पहचान एवं बचाव
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