कपास हमारे देश की एक अत्यंत महत्वपूर्ण नकदी फसल है। हमारे इस विशाल कृषि प्रधान देश के अनेक किसान कपास की खेती से जुड़े हुए हैं। जहाँ एक तरफ कपास की खेती से अधिक लाभ उठाया जा सकता है तो वही दूसरी तरफ कृषि प्रक्रिया में छोटी सी चूक भी कम लाभ या हानि होने की संभावनाओं को बढ़ा देती है। कृषि प्रक्रिया में चूक होने की संभावना अक्सर फसल में खनिज पोषण, खरपतवार नियंत्रण, कीट नियंत्रण एवं रोग नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण परिस्थितियों में हो सकती हैं इसलिए किसान भाइयों से अनुरोध है कि प्रस्तुत लेख में इन सभी नाजुक परस्थितियों से निपटने के लिए दिए गए वैज्ञानिक तरीकों का अनुसरण एवं पालन अवश्य करें जिससे कपास की खेती सुरक्षित एवं लाभदायी बन सके।
कपास में खनिज पोषण
नत्रजन: नत्रजन एक अत्यंत महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं जिसकी कमी के कारण कोई भी पौधा जीवित नहीं रह सकता। कपास की फसल में नत्रजन की कमी के कारण पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं और अधिक कमी होने पर गाढ़े लाल या भूरे रंग के धब्बे पत्ती के किनारों पर बनने शुरू हो जाते हैं।
रोकथाम: नत्रजन आमतौर पर यूरिया उर्वरक द्वारा दिया जाता है। इसकी कमी के आसार दिखाई देने पर तुरंत 2% यूरिया का छिड़काव पत्तों पर बौछार द्वारा करना चाहिए तत्पश्चात नियमानुसार खेत में यूरिया का छिड़काव करना चाहिए।
फास्फोरस: इस पोषक तत्व की कमी से कपास के पत्ते छोटे एवं गाढ़े हरे रंग के हो जाते हैं और अंत में गाढे लाल-बैंगनी रंग के होकर सूख जाते हैं। फास्फोरस की कमी से टिंडों का आकार छोटा हो जाता हैं, टहनियां कम बनती हैं एवं टिंडा देर से पकता हैं।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin September 15, 2023 sayısından alınmıştır.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।