भारत की आर्थिकता का मुख्य केन्द्र कृषि है (जो कि देश की कुल आमदनी में पांचवां हिस्सा योगदान देती है) और खुशहाल कृषि का केन्द्र प्रमाणित/सर्टीफाईड बीज हैं। कृषि में आई हरित क्रांति के कारण संपूर्ण देश अन्न उत्पादन में स्वैःनिर्भर बना, जिसमें अच्छे बीजों ने भी योगदान डाला। इसके बाद सर्टीफाईड बीजों की खपत में निरंतर इजाफा होता गया।
भारतीय बीज उद्योग विश्व का आठवां सबसे बड़ा उद्योग है। यह कारोबार तकरीबन 4.1 बिलीयन भारतीय रूपये तक का है। यह उद्योग 15 प्रतिशत की वार्षिक दर पर विकास कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2019 से 2024 तक इस उद्योग की 9.1 बिलीयन यू.एस. डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। निजी बीज उद्योग का विकास सिर्फ बीज उत्पादन एवं मार्केटिंग तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि इस उद्योग ने नई तकनीकों को अपनाकर भविष्य की अन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए शक्ति भी प्राप्त कर ली है।
यदि हम उत्पादन क्षमता की ओर दृष्टि डालें तो हम देखते हैं कि भारत में 70 प्रतिशत बीज किसानों की ओर से अपने निजी क्षेत्रों से लिए जाते हैं। 26 प्रतिशत सरकारी कृषि अदारों से आता है और सिर्फ 4 प्रतिशत खोज केन्द्रों की ओर से विकसित किया गया हाइब्रिड बीज का प्रयोग किया जाता है।
भारत की घरेलू हाइब्रिड बीज मार्किट 4.9 बिलीयन रूपये की है। यह वार्षिक 13 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। यदि हम इसकी तुलना विश्व बीज मार्किट के साथ करें तो हम देखते हैं कि विश्व विकास दर 5 प्रतिशत है। भारत में बड़े बीज उत्पादक जैसे कि मोंसैंटो इंडिया एवं सिंर्जेंटा इंडिया हाइब्रिड बीज के बड़े केन्द्र बिन्दू हैं। आधुनिक समय में किसानों में उच्च गुणवत्ता एवं उत्पादन वाले बीजों के बारे में जागरूकता बढ़ रही है। किसानों का रूझान हाइब्रिड बीजों की ओर बढ़ रहा है। बीज उद्योग में पहले सरकारी कंपनियों का दबदबा था परन्तु 1988 से नई बीज पॉलिसी के लागू होने से निजी क्षेत्र की बीज कंपनियों ने बीज विकास एवं बाजारीकरण में अहम हिस्सा डालना शुरू कर दिया है। सरकार के बायोटैक्नोलॉजी को अपनाने के निर्णय ने बहुत सारी बहु-राष्ट्रीय बीज कंपनियों को भारत में कार्य करने के लिए आकर्षित किया है। इस समय बीज क्षेत्र में निजी एवं सार्वजनिक बीज कंपनियों का अनुपात 60:40 हो गया है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin October 01, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin October 01, 2023 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
कपास विज्ञानी - डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव
डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव एक उजबेक विज्ञानी हैं जिनको 2013 के इंटरनेशनल कॉटन एडवाईजरी कमेटी रिसर्चर के तौर पर जाना जाता है। डॉ. इब्रोखिम वाई. अबदूराखमोनोव कोलाबोरेटर प्रोजैञ्चट डायरेञ्चटर हैं।
बिहार का सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहा ड्रैगन फ्रूट की खेती
आज के अधिकांश युवा पीढ़ी के किसान अपनी पारंपरिक खेती से दूर हो रहे हैं। उसी में कुछ ऐसे किसान हैं जो स्टार्टअप के रूप में अत्याधुनिक खेती कर लाखों रुपए कमा रहे हैं।
अब मशीनें पकड़ेंगी दूध में यूरिया की मिलावट
भारत में टैक्नोलॉजी को तेजी से बढ़ाया जा रहा है जिससे आम जनता को काफी फायदा मिल रहा है। अब ज्यादा दिनों तक दूध में यूरिया की मिलावट करने वाली कंपनियां लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर पाएंगी। मिलावटी दूध में यूरिया का पता तरबूज के बीज से लगाने के लिए बायो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस ढञ्ज-का ने बना लिया है।
मिट्टी जांच के लिए आईआईटी कानपूर ने बनाई मशीन
आईआईटी कानपुर ने मिट्टी की जांच के लिए एक डिवाइस विकसित किया है, जो 90 सैकेंड में मिट्टी के 12 पोषक तत्वों की जांच कर सकता है। यह उपकरण किसानों को उनकी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में तुरंत जानकारी प्रदान करेगा, जिससे वे अपनी फसलों को उचित पोषण दे सकते हैं।
हजार साल पुराना बीज भी हुआ अंकुरित
कृषि वैज्ञानिकों, वनस्पति विज्ञानियों और इतिहासकारों के एक अंतराष्ट्रीय दल को हजार साल पुराने बीज को उगाने में सफलता मिली है। इस बीज से फूटा अंकुर अब एक परिपक्व पेड़ में तब्दील हो चुका है। गौरतलब है कि यह बीज इजरायल की एक गुफा में पाया गया था।
दो अरब लोगों को नहीं मिल रहा पोषक तत्व
विश्व खाद्य दिवस हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक-भूख और खाद्य असुरक्षा की ओर ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन भोजन की कमी और कुपोषण से जूझ रहे लाखों लोगों की दुर्दशा की ओर दुनिया भर का ध्यान आकर्षित करने का भी है, टिकाऊ कृषि, समान खाद्य वितरण और पौष्टिक भोजन तक सभी की पहुंच परम आवश्यक है।
क्या जीएम फसलें लाभकारी हैं?
जेनेटिकली मोडीफाईड फसलें (जीएम) एक बड़े विवाद का विषय रही हैं। हाल ही में मैक्सिको की सरकार ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण फसल मक्का को जीएम से बचाने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है।
रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों को बड़ी राहत
केंद्र सरकार ने प्रमुख रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह बढ़ोतरी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए सभी रबी फसलों के लिए की गई। है।
फल, सब्जियों में उपयोग होने वाली नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की वैज्ञानिक विधि
फल, सब्जियों की अच्छी पैदावार के लिए नीम तुलसी कीटनाशक काफी लाभदायक साबित होती है। इस कीटनाशक को बनाने के लिए किसानों को अधिक मेहनत करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए आज हम आसान वैज्ञानिक विधि लेकर आए हैं, यहां जानें नीम तुलसी कीटनाशक बनाने की पूरी विधि -
उत्तर प्रदेश को FDI लाने में करेगा मदद IFC; कृषि, सोलर और इन्फ्रा क्षेत्रों का होगा विकास
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र, सौर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आर्थिक सहयोग करेगी। इसके अलावा आईएफसी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लाने में भी मदद करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश सरकार और अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के बीच हुई बैठक में प्रदेश में बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) और कृषि क्षेत्र में निवेश पर विस्तृत चर्चा की गई।