जिप्सम खनिज गैर विषैला होता है। यह एक बहुत ही सामान्य सल्फेट है। यह जानवरों, मनुष्यों, पौधों के लिए उपयोगी है। जिप्सम कैल्शियम और गंधक का एक उत्तम एवं अच्छा स्रोत है। जिप्सम पाउडर को मिट्टी में मिलाने से वह मिट्टी में घुलने लगता है और कैल्शियम एवं सल्फेट पोषक तत्व छोड़ने लगता है। यह पानी में जल्दी से घुल जाता है और मिट्टी में जड़ों तक जल्दी से पहुँच जाता है। जिप्सम फर्टिलाइजर मिट्टी के पीएच में कोई खास परिवर्तन नहीं करता है। यह सस्ता और सुलभ हैं। यह भूमि सुधारक के साथ साथ कैल्शियम और सल्फर का मुख्य स्त्रोत होने के कारण मिट्टी को कैल्शियम और सल्फर जैसे द्वितीयक पोषक तत्व प्रदान करता है। इन दिनों ज्यादातर मिट्टी में इन दोनों तत्वों की भारी कमी है जिसके कारण पैदावार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यह जल में घुलनशील होता है।
जिप्सम का रासायनिक सूत्र : जिप्सम का रासायनिक नाम कैल्शियम सल्फेट डाईहाइड्रेट है, इसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। जिप्सम का रासायनिक सूत्र CaSO 2HO है रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट डाईहाइड्रेट के रूप में जाना जाता है। इसमें पानी, ऑक्सीजन से जुड़ा कैल्शियम सल्फेट होता है। जिप्सम का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है। जिप्सम मिट्टी के कटाव को रोकता है, मिट्टी की संरचना में सुधार करता है, पानी और हवा की आवाजाही में मदद करता है और जड़ वृद्धि को सुविधाजनक बनाता है। जिप्सम देने से मृदा में पोषक तत्वों सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटैशिय, कैल्शियम तथा सल्फर की उपलब्धता में वृद्धि हो जाती है। जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्त्रोत है जो कार्बनिक पदार्थों को मृदा के क्ले कणों से बाँधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है तथा मृदा में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है। जिप्सम मिट्टी में हानिकारक लवणों की मात्रा को बढ़ने नहीं देता है, जिससे जमीन भुरभुरी और उपजाऊ बनती है। जिप्सम में 13.5 प्रतिशत गंधक तथा 19 प्रतिशत कैल्शियम तत्व पाये जाते हैं। क्षारीय भूमि सुधार हेतु मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर जिप्सम का उपयोग कर मिट्टी की दशा सुधारी जा सकती है।
जिप्सम का उपयोग
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin October 01, 2023 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।