गांव देहात में सहजन बिना किसी विशेष देखभाल के किसान अपने घरों के आसपास एक-दोपेड़ लगाकर रखते हैं, जिसके फल का उपयोग वे साल में एक बार जाड़े के दिनों में सब्जी के रूप में करते हैं। सेजना पौष्टिकता से भरपूर बहुउद्देशय वृक्ष है। सेंजना के वृक्ष का प्रत्येक भाग (जड़, छाल, तना, पत्तियां, फल-फूल, बीज, तेल तथा गोंद) किसी न किसी रूप में मनुष्यों एवं जानवरों द्वारा खाया अथवा उपयोग में लाया जाता है। आयुर्वेद में सेंजना का उपयोग प्राचीन समय से चला आ रहा है। पौष्टिकता से भरपूर होने के कारण इससे विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाये जाने लगे हैं। यदि इस पौधे का प्रत्येक घर या परिवार में विधिवत उपयोग किया जाये तो यह कुपोषण की समस्या का समाधान करने में अहम भूमिका निभा सकता है। सहजना की कच्ची हरी-मुलायम फलियां सब्जी के रूप में सर्वाधिक उपयोग में लाई जाती हैं। इनकी फलियों में अन्य सब्जियों व फलों की तुलना में विटामिन, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटाशियम, आयरन, एमीनो एसिड व खनिज पदार्थ अधिक होते हैं। इसकी पत्तियां व फूल भी विभिन्न पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिनमें विटामिन बी, सी व बीटा कैरोटीन, मैंगनीज तथा प्रोटीन प्रचुरता से पाये जाते हैं। फलियों के बीजों से प्राप्त तेल में जैतून के तेल से भी ज्यादा प्रभावशाली गुण होते हैं। इस प्रकार इस पौधे का फल, फूल, पत्ते, तना और यहां तक कि जड़ भी उपयोगी है।
सेंजना की उन्नत किस्में: सेंजना की उन्नत किस्में कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधानों केन्द्रों, आई.सी.ए.आर. अनुसंधान केन्द्रों आदि द्वारा विकसित की गई जिनकी उत्पादन क्षमता, पकाव अवधि, गुणवत्ता आदि की बातें ध्यान में रखने के लिए उन्नत किस्मों का विकास किया जो लाभदायक होती हैं। उन्नत किस्मों में निम्न किस्में हैं जो अधिक उत्पादन देती हैं।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin November 15, 2023 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।