सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाना अत्यावश्यक है। यदि पशु को ठंडी हवा व धुंध/कोहरे से बचाने का समुचित प्रबंध ना हो तो पशु बीमार पड़ जाते हैं, जिससे उनके उत्पादन में तो गिरावट आती ही है साथ ही साथ पशु न्यूमोनिया जैसे रोगों के कारण मृत्यु को भी प्राप्त कर सकते हैं। सर्दियों में पशुओं के रहन-सहन और आहार का समुचित प्रबंध करना अत्यंत आवश्यक है। यदि पशुओं के रहन-सहन और आहार का उचित प्रबंध इस प्रतिकूल मौसम में नहीं किया जाए तो पशु के स्वास्थ्य एवं दुग्ध उत्पादन क्षमता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
सामान्य रूप से गाय और भैंस के शरीर का तापमान 101.5 से 102 डिग्री फॉरेनहाइट के बीच रहता है जबकि सर्दियों में पशु आवास के भीतर का तापमान कभी-कभी शून्य डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। ऐसी ठंड से पशु को बचाने के लिए पशु को हमेशा पशु आवास में ही बांधकर खिलाना एवं उसका दूध निकालना चाहिए।
पशुपालकों को चाहिए कि वह अपने पशुओं का सर्दी के मौसम में विशेष ध्यान रखें तथा उन्हें सर्दी से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय करें-
1. पशुशाला के दरवाजे खिड़कियां व अन्य खुले स्थान पर रात के समय बोरी तिरपाल व टाट को टांगना चाहिए जिससे पशुओं को सीधी ठंडी हवा से बचाया जा सके। यदि शीत लहर हो तो पशुओं को अलाव जलाकर भी सर्दी के प्रकोप से बचाया जा सकता है।
2. रात के समय पशुशाला के फर्श पर पराली या भूसा को बिछाऐं जिससे फर्श से सीधी ठंड पशुओं को न लगे।
3. पशुशाला का फर्श ढलान युक्त होना चाहिए जिससे पशुओं का मूत्र बहकर बाहर निकल जाए ताकि बिछावन सूखा बना रहे।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin December 15, 2023 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
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पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
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जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
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साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
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कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।