बीज की मात्रा देसी प्रजाति के लिये 5 किग्रा. प्रति एकड़ (67.5x30 सैंटीमीटर, बी टी संकर के लिये 0.850 किग्रा0 प्रति एकड़ और अमेरिकन प्रजाति के लिये 6-8 किग्रा० प्रति एकड़ (100x20 सैंटीमीटर) पर्याप्त होती है। बीज के ज्यादा उपज के लिए उसको बीजाई से पहले 5-6 घंटों के लिए पानी में भिगो देना चाहिए, बीज की बुवाई 4-5 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए।
नरमे में खाद: सभी खादों का इस्तेमाल मिट्टी की जांच कराने के बाद ही करें।
ट्रैक्टर चालित हैरो खेत की तैयारी के लिये हरियाणा में इस्तेमाल की जाती है तथा बिजाई के बाद भी नरमे की फसल में एक से दो बार खरपतवार को पहली सिंचाई से पहले निकाल देना चाहिए तथा पहली सिंचाई के बाद कसले की सहायता से एक दो बार खरपतवार को साफ कर दें। इसकी फसल काल में 800-1000 मिमी0 पानी की आवश्यकता पड़ती हैं। जिसके लिये अप्रैल से सितंबर माह में फसल को सूखे से बचाने के लिये चार पानी लगाने की जरूरत होती है बाकी पानी की पूर्ति वर्षा द्वारा हो जाती है। हरियाणा में नरमे के लिये उपयुक्त फसल चक्र नरमा-गेहूं, नरमा- सरसों, नरमा-बरसीम हैं।
नरमे की किस्में -
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin January 15, 2024 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।