इस चाइनीज-कैबेज के अन्तर्गत खनिजलवणों की अधिक मात्रा मिलती है क्योंकि यह सब्जी सिलेन्ड्रीकल ऊंचाई में बढ़ती है। इसका आकार अन्य पत्ता गोभी से बड़ा होता है। गोभी वर्गीय सब्जी होने से फिलेवर अन्य गोभियों की तरह ही होता है। इसका उपयोग अधिकतर बड़े-बड़े होटलों, रेस्टोरेन्ट तथा एम्बेसियों में अधिक होता है। इसको चाइनीज-फूड में व हॉट-फूड में अधिक प्रयोग किया जाता है। चाइनीज-कैबेज भी 50-60 रुपये प्रति किलो बिकता है। इसका प्रयोग अन्य सब्जी के साथ मिलाकर, भूजी तथा चावल के साथ अधिक किया जाता है। इसमें पोषक तत्व अधिकतर कैल्शियम, लोहा, पोटेशियम, विटामिन तथा खनिज लवण अधिक मात्रा में मिलते हैं।
चाइनीज पत्ता गोभी के लिए आवश्यक भूमि व जलवायु : यह सब्जी भी शरद ऋतु की है जिसको अन्य गोभी की तरह ही आसानी से उगाया जाता है। सर्वोत्तम भूमि दोमट या बलुई दोमट जीवांश-पदार्थों वाली रहती है। यदि जीवांश की मात्रा कम हो तो खरीफ में हरी - खाद (Green Manuring) या कम्पोस्ट खाद देनी चाहिए। इसके लिए मिट्टी का पी. एच. मान 6.0-7.5 उत्तम रहता है। जलवायु ठण्डी होनी चाहिए। अधिक गर्म जलवायु उचित नहीं होती है। उप-शीतोष्ण जलवायु सर्वोत्तम रहती है। तापमान 10-15 डी० सेग्रेड के बीच रहता है। कम आर्द्रता की आवश्यकता रहती है। हेड परिपक्व के समय तापमान 250 डी0 सेग्रेड उत्तम रहता है। शरद ऋतु में कम ही आर्द्रता उत्तम रहती है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin January 01, 2024 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।