इन बीजों ने एकदम फसल का उत्पादन दोगुना कर दिया था। इन बीजों के कारण ही हरित क्रांति की शुरुआत हुई और इन बीजों ने किसानों की सोच में परिवर्तन कर दिया था। उस समय से ही किसान यद्यपि महंगे से महंगे बीज खरीदने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। परन्तु अधिकतर किसानों का बीजों की क्वालिटी के बारे में ज्ञान अभी भी अधूरा है। अभी भी वह बीजों की क्वालिटी की जांच बीजों को हथेली पर रख कर ही करते हैं और बीजों की फसल/पुश्तैनी गुणों के बारे में उसको बहुत ही कम ज्ञान है। बीजों की क्वालिटी कई गुणों पर निर्भर करती है।
कृषि में प्रयोग होने वाले आदान, खाद, बीज, उर्वरक, कीटनाशी, खरपतवारनाशी में गुणवत्ता युक्त बीज की महती भूमिका रहती है। बाजार में विभिन्न लुभावने पैकिंग में बीज उपलब्ध होते हैं परन्तु कृषक किस प्रकार लुभावने विज्ञापनों से बचकर गुणवत्ता युक्त बीज खरीदें इस बारे में कुछ बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया है :
किस्म का चुनाव :
जीवन में लिए गये बहुत से निर्णयों में बीज किस्म के चुनाव का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण है और कृषक के जीवन की काया पलट कर सकता है। कृषक अपनी भूमि की किस्म, विभिन्न आदानों की उपलब्धता, फसल चक्र को ध्यान में रखते हुए किस्म का चुनाव कर सकता है। उत्तर भारत में प्रचलित उत्पादकता वाली, रोग रोधी किस्मों की जानकारी प्राप्त कर उत्तम ही नहीं सर्वोत्तम किस्म का चुनाव करें।
बीज का वर्ग :
किस्म चुनने के बाद वर्ग का चुनाव महत्वपूर्ण है। कृषकों को प्रमाणित (Certified) बीजों को क्रय करने में वरीयता देनी चाहिए क्योंकि उनकी अनुवांशिकी शुद्धता की परख प्रमाणीकरण संस्था द्वारा खड़ी फसल का निरीक्षण करके की जाती है। सरकार भी प्रमाणित बीजों पर ही अनुदान घोषित करती है। अतः अनुदान का लाभ लेने हेतु प्रमाणित बीज ही खरीदने चाहिएं। प्रमाणित बीज उपचारित भी होते हैं। प्रमाणित बीज भारत सरकार द्वारा अनुमोदित किस्मों से तैयार किये जाते हैं। प्रमाणित बीज न मिलने पर लेबल या टी.एफ.एल. बीज खरीदें। बी.टी. कपास के सभी पैकटों का बीज लेबल बीज होगा।
डिलिंटिंग :
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th May 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Giriş Yap
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th May 2024 sayısından alınmıştır.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Giriş Yap
गोभीवर्गीय सब्जियों के रोग और उनकी रोकथाम
सर्दी में गोभीवर्गीय सब्जियों (फूलगोभी, बंदगोभी व गांठगोभी) का बहुत महत्व है क्योंकि सर्दी में सब्जियों के आधे क्षेत्रफल में यही सब्जियां बोई जाती हैं। इन सब्जियों को कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोर्स, विटामिन ए एवं सी इत्यादि का अच्छा स्रोत माना जाता है।
हाई-टेक पॉलीहाउस खेती में अधिक उत्पादन के लिए कंप्यूटर की भूमिका
भारत देश में आज के समय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जिससे रहने के लिए लगातार कृषि योग्य भूमि का उपयोग कारखाने लगाने, मकान बनाने में हो रहा है। कृषि योग्य भूमि कम होने से जनसंख्या का भेट भरने की समस्या से बचने के लिए सरकार ने विभिन्न योजनाएं चला रखी हैं जिससे किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें।
सरसों की खेती अधिक उपज के लिए उन्नत शस्य पद्धतियाँ
सरसों (Brassica spp.) एक महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है, जो पोषण और व्यवसायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत में सरसों का उपयोग मुख्यतः खाद्य तेल, मसाले और औषधि के रूप में किया जाता है।
गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
गेहूं में मुख्य पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग अति आवश्यक है। प्रायः किसान भाई उर्वरकों में डी.ए.पी. व यूरिया का अधिक प्रयोग करते हैं और पोटाश का बहुत कम प्रयोग करते हैं।
पॉलीटनल में सब्जी पौध तैयार करना
देश में व्यवसायिक सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने में सब्जियों की स्वस्थ पौध उत्पादन एक महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आमतौर से किसान कम ध्यान देते हैं।
क्या है मनरेगा की कृषि में भागेदारी?
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से कमियां पूरी करें और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संबंधित विभागों से कनवरजैंस के लिए जोर दिया जाता है। जैसे खेतीबाड़ी, बागवानी, वानिकी, जल संसाधन, सिंचाई, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल रूरल लिवलीहुड मिशन और अन्य प्रोग्रामों के सहयोग से जो कि मनरेगा अधीन निर्माण की संपति की क्वालिटी को सुधारना और टिकाऊ बनाया जा सके।
अलसी की फसल के कीट व रोग एवं उनका नियंत्रण
अलसी की फसल को विभिन्न प्रकार के रोग जैसे गेरुआ, उकठा, चूर्णिल आसिता तथा आल्टरनेरिया अंगमारी एवं कीट यथा फली मक्खी, अलसी की इल्ली, अर्धकुण्डलक इल्ली चने की इल्ली द्वारा भारी क्षति पहुंचाई जाती है जिससे अलसी की फसल के उत्पादन में भरी कमी आती है।
मटर की फसल के कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण कैसे करें
अच्छी उपज के लिए मटर की फसल के कीट एवं रोग की रोकथाम जरुरी है। मटर की फसल को मुख्य रोग जैसे चूर्णसिता, एसकोकाईटा ब्लाईट, विल्ट, बैक्टीरियल ब्लाईट और भूरा रोग आदि हानी पहुचाते हैं।
कृषि-वानिकी और वनों व वृक्षों का धार्मिक एवं पर्यावरणीय महत्व
कृषि-वानिकी : कृषि वानिकी भू-उपयोग की वह पद्धति है जिसके अंतर्गत सामाजिक तथा पारिस्थितिकीय रुप से उचित वनस्पतियों के साथ-साथ कृषि फसलों या पशुओं को लगातार या क्रमबद्ध ढंग से शामिल किया जाता है। कृषि वानिकी में खेती योग्य भूमि पर फसलों के साथ-साथ वृक्षों को भी उगाया जाता है। इस प्रणाली द्वारा उत्पाद के रुप में ईंधन की लकड़ी, हरा चारा, अन्न, मौसमी फल इत्यादि आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। इस प्रणाली को अपनाने से भूमि की उपयोगिता बढ़ जाती है।
'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड प्राप्त करने वाली सफल महिला किसान-नीतुबेन पटेल
नीतूबेन पटेल ने जैविक कृषि में उत्कृष्ट योगदान देकर \"सजीवन\" नामक फार्म की स्थापना की, जो 10,000 एकड़ में 250 जैविक उत्पाद उगाता है। उन्होंने 5,000 किसानों और महिलाओं को प्रशिक्षित कर जैविक खेती में प्रेरित किया।