पूरी दुनिया में बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण पोषण कृषि पर ही निर्भर है, 1950 के बाद भारत समेत सम्पूर्ण विश्व में जनसंख्या में कुछ ज्यादा ही वृद्धि हुई है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या ने हमें कृषि उत्पादन बढ़ाने के तौर तरीकों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया जिसके फलस्वरूप हरित क्रांति का जन्म हुआ। हरित क्रांति में अधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिये किसानों ने रासायनिक उर्वरकों, कृषि रसायनों और सिंचाई साधनों का अंधाधुंध प्रयोग किया जिससे मृदा स्वास्थ्य में भारी कमी आई है।
असंतुलित रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मृदा में प्रमुख पोषक तत्वों नाइट्रोजन, फास्फोर्स एवं पोटाश के साथ-साथ गौण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों तथा सल्फर, जिंक, लोहा, कॉपर, बोरोन और मैंगजीन की कमी होने लगी है तथा भूगर्भ जलस्तर नीचे जाने लगा जिसके कारण कृषि उपज के साथ-साथ उत्पाद गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
पौधों के अच्छे वृद्धि विकास एवं उच्च गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त करने के लिए सत्रह प्रमुख पोषक तत्वों का मृदा में संतुलित मात्रा में पाया जाना परम आवश्यक है जिसमें से तीन कार्बन, हाईड्रोजन व आक्सीजन पौधे वायु एवं जल से प्राप्त करते हैं तथा शेष 14 पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोर्स, पोटाश, कैल्शियम, सल्फर एवं मैग्नीशियम तथा सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक, लोहा, बोरान, कापर, क्लोरीन, मोलिब्डेनम एवं निकिल पौधे भूमि से ग्रहण करते हैं।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st June 2024 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।