मूंग की फसल में कौन-कौन से रोग लगते हैं?
मूंग की फसल कई रोगों से प्रभावित होती है जिसके कारण किसानों को फसल की कम उपज प्राप्त होती है। इन रोगों का समय पर उपचार करना बहुत आवश्यक है। मूंग की फसल को रोगों से बचाने के लिए प्राकृतिक या रासायनिक उपायों का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए फसल संरक्षण उत्पादों का प्रयोग किया जा सकता है।
मूंग की फसल में लगने वाले प्रमुख रोगों और उनके बचाव के बारे में जानकारी:
1. पाउडरी फफूंदी रोग (Powdery mildew)
• ये मूंग की फसल के घातक रोगों में से एक है। इस रोग का प्रकोप मूंग की फलियों में पाउडरी फफूंदी के रूप में व्यापक रूप से देखा जा सकता है।
• पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद पाउडर जैसे धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में फीके रंग के हो जाते हैं।
• ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ते हैं और निचली सतह को भी ढकते हुए गोलाकार हो। जाते हैं।
• जब संक्रमण गंभीर होता है तो पत्तियों की दोनों सतह पूरी तरह से सफेदी से ढक जाती हैं। खस्ता विकास गंभीर रूप से प्रभावित भाग सिकुड़कर विकृत हो जाते हैं।
• गंभीर संक्रमण में पत्तियां पीली हो जाती हैं जिससे समय से पहले पत्तियां गिर जाती हैं।
• यह रोग जबरन परिपक्वता भी पैदा करता है, जिससे संक्रमित पौधों के परिणामस्वरूप भारी उपज हानि होती है।
पाउडरी फफूंदी रोग नियंत्रण के उपाय
• फसल को रोग के प्रकोप से बचाने के लिए केवल रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही प्रयोग करें।
• फसल में रोग को फैलने से रोकने के लिए संक्रमित पौधों को हटाएं और नष्ट करें।
• मूंग के खेत में 10 दिनों के अंतराल पर एनएसकेई ञ्च 5न या नीम तेल ञ्च उन का दो बार छिड़काव करें।
• मूंग की फसल को रोग के शुरुआती प्रकोप से बचने के लिए बीज जून के महीने में जल्दी बोना चाहिए।
• अगर खेत में रोग का प्रकोप दिखाई देता है तो कार्बेन्डाजिम 200 ग्राम या वेटटेबल सल्फर 600 ग्राम या ट्राइडेमोर्फ 200 द्वद्य का छिड़काव प्रति एकड़ की दर से करें।
• इस छिड़काव को 15 दिन बाद फिर से दोहराएँ।
2. एन्थ्राक्नोज रोग (Anthracnose)
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th June 2024 sayısından alınmıştır.
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सब्जियों की जैविक खेती
सब्जियों की जैविक खेती हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत सिंचाई के संसाधनों के विकास, उन्नतशील किस्मों और रासायनिक उर्वरकों एवं कृषि रक्षा रसायनों के उपयोग से फसलों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई। लेकिन समय बीतने के साथ फसलों की उत्पादकता में स्थिरता या गिरावट आने लगी है। इसका प्रमुख कारण भूमि की उर्वराशक्ति में ह्रास होना है।
किसानों के लिए पैसे बचाने का महत्व एवं बचत के आसान सुझाव
किसानों के लिए बचत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें आर्थिक सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती है। खेती एक जोखिम पूर्ण व्यवसाय है जिसमें मौसम, फसल की बीमारी और बाजार के उतार-चढ़ाव जैसी कई अनिश्चितताएं शामिल होती हैं।
उर्द व मूंग में एकीकृत रोग प्रबंधन
दलहनी फसलों में उर्द व मूंग का प्रमुख स्थान है। जायद में समय से बुवाई व सघन पद्धतियों को अपनाकर खेती करने से इन फसलों की अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। जायद में पीला मौजेक रोग का प्रकोप भी कम होता है।
ढींगरी खुम्ब उत्पादन : एक लाभकारी व्यवसाय
खुम्बी एक पौष्टिक आहार है जिसमें प्रोटीन, खनिज लवण तथा विटामिन जैसे पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। खुम्बी में वसा की मात्रा कम होने के कारण यह हृदय रोगियों तथा कार्बोहाईड्रेट की कम मात्रा होने के कारण मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा आहार है। खुम्बी एक प्रकार की फफूंद होती है। इसमें क्लोरोफिल नहीं होता और इसको सीधी धूप की भी जरूरत नहीं होती बल्कि इसे बारिश और धूप से बचाकर किसी मकान या झोंपड़ी की छत के नीचे उगाया जाता है जिसमें हवा का उचित आगमन हो।
वित्तीय साक्षरता को उत्साहित करने में सोशल मीडिया की भूमिका
आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है।
मेथी की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
मेथी (Fenugreek) की खेती पूरे भारत में की जाती है। इसका सब्जी में केवल पत्तियों का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही बीजों का प्रयोग मसाले के रूप में किया जाता है।
जैविक खादों का प्रयोग बढ़ायें
भूमि से अधिक पैदावार लेने के लिए उपजाऊ शक्ति को बनाये रखना बहुत जरूरी है। वर्ष 2025 में 30 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन के लिए लगभग 45 मिलियन टन उर्वरकों की जरूरत होगी, लेकिन एक अन्दाज के अनुसार वर्ष 2025 में 35 मिलियन टन उर्वरकों का प्रयोग किया जायेगा।
गेंदे की वैज्ञानिक खेती से लाभ
गेंदा बहुत ही उपयोगी एवं आसानी से उगाया जाने वाला फूलों का पौधा है। यह मुख्य रूप से सजावटी फसल है। यह खुले फूल, माला एवं भू-दृश्य के लिए उगाया जाता है।
विनाशकारी खरपतवार गाजरघास की रोकथाम
अवांछित पौधे जो बिना बोये ही उग जाते हैं और लाभ की तुलना में ज्यादा हानिकारक होते हैं वो खरपतवार होते हैं। खरपतवार प्राचीन काल से ही मनुष्य के लिये समस्या बने हुये हैं, खेतों में उगने पर यह फसल की पैदावार व गुणवत्ता पर विपरीत असर डालते हैं।
खेती में बुलंदियों की ओर बढ़ने वाला युवक किसान - नितिन सिंह
उत्तर प्रदेश का एग्रीकल्चर सैक्टर काफी तेजी से ग्रो कर रहा है। इस सैक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है कि देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी क्रम में हम आपको यूपी के सीतापुर के रहने वाले एक ऐसे युवक की कहानी बताने जा रहे हैं, जो लाखों युवा किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।