गुलदाउदी की खेती से आमदनी बढ़ाएं किसान
Modern Kheti - Hindi|15th August 2024
गुलदाउदी के फूल आकर्षक और मनमोहक होते हैं। गुलदाउदी का उपयोग डंडी वाले या कट फ्लावर के रूप में गुलदस्ते बनाने तथा घरों एवं कार्यालय में सजावट के लिए गुलदान में रखने के लिए किया जाता है।
डॉ गुरनाम सिंह, डॉ राजेश लाठर, डॉ श्रीदेवी एवं डॉ वंदना चौधरी चरण सिंह
गुलदाउदी की खेती से आमदनी बढ़ाएं किसान

इसकी विभिन्न रंगों वाली सफेद, पीली, लाल, गुलाबी आदि उपलब्ध है। इसे गमले में व क्यारियों में भी सजावट हेतु लगाया जा सकता है। संचार एवं जल निकास का उचित प्रबंध हो उपयुक्त होती है।

किस्में :

भूमि : गुलदाउदी की काश्त के लिए रेतीली दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान. 6.5 से 7.9 हो और जिसमें वायु वार्षिक पुष्प किस्में: स्पेशल मिक्स, क्राइसेंथीमम कोरोनेरियम, क्राइसेंथीमम कैरिनेटस, क्वाइट प्रीती, कोर्टजेस्टरस।

बड़े फूल वाली किस्में : सनोबाल, चंद्रमा, सोनार बंगला, लोकल डबल सफेद पिंक ज्वायंट, डायमंड जुबली, कस्तूरबा गांधी।

छोटे फूल वाली किस्में : ज्योत्सना, फ्लर्ट, जया, वसन्तिका, पूर्णिमा, बीरबल साहनी, बसंती, कुंदन, बाधी हिमानी, नानको, जयंती, मोहिनी, निहारिका, अर्चना।

प्रबंधन: गुलदाउदी में प्रर्वधन कार्य दो विधियों द्वारा किया जाता है :

(1) अंतभूस्तारियों (सर्कस) द्वारा

(2) कलमों द्वारा/कटिंग द्वारा

पौधे लगाने का समय एवं दूरी : फरवरी से मार्च (सर्कस द्वारा) जुलाई से अगस्त (कटिंग द्वारा)

पौधे से पौधे का फासला - 30 सें.मी.

पंक्ति से पंक्ति का फासला 30 सें.मी.

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रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी एएमआर एक ऐसी 'मूक महामारी', है जो न केवल इंसान और मवेशियों के स्वास्थ्य बल्कि खाद्य सुरक्षा और विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। आज जिस तरह से वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक्स दवाओं का बेतहाशा उपयोग हो रहा है, वो चिंता का विषय है। सैंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमैंट (सीएसई) लम्बे समय से रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बढ़ते खतरे को लेकर चेताता रहा है।

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