अपने अध्ययन में वैज्ञानिकों ने धान की किस्मों के कुछ ऐसे गुणों और जीनों की भी पहचान की है, जो फसलों की पैदावार को बेहतर बना सकती हैं। इसके साथ ही यह गुण उर्वरकों के बेहतर उपयोग, प्रदूषण में कमी, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी मददगार साबित हो सकते हैं।
रिसर्च से पता चला है कि धान की खीरा और सीआर धान 301 जैसी प्रजातियां नाइट्रोजन का उपयोग बेहद दक्षता के साथ करती हैं। मतलब कि इन्हें बहुत कम उर्वरकों की आवश्यकता होती है। लेकिन धान की इन किस्मों को बढ़ने में बहुत अधिक समय लगता है।
वहीं दूसरी तरफ धान की ढाला हीरा किस्म एक तरफ जहां नाइट्रोजन का बेहद दक्षता के साथ उपयोग करती है। साथ ही इसे तैयार होने में बहुत कम समय लगता है। मतलब कि इस किस्म में यह दोनों ही गुण मौजूद हैं। गौरतलब है कि नाइट्रोजन उपयोग दक्षता (एनयूई) का मतलब है कि इस्तेमाल किए यूरिया से कितना अनाज पैदा किया जा सकता है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st September 2024 sayısından alınmıştır.
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बागवानी पौधशाला की स्थापना एवं प्रबंधन
बागवानी पौधशाला किसान बन्धुओं (नर्सरी) शब्द अंग्रेजी के नर्स या नर्सिंग से लिया गया है, जिसका अर्थ है- पौधों की देखभाल, पालन-पोषण और संरक्षण प्रदान करना।
सूचना संचार एवं कृषि विकास
यदि भारत को खुशहाल बनाना है, तो गांवों को भी विकसित करना होगा। आज सरकार ग्रामीण विकास, कृषि एवं भूमिहीन किसानों के कल्याण पर ज्यादा जोर दे रही है। इसलिये यह क्षेत्र बेहतरी की दिशा में परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। प्रौद्योगिकी और पारदर्शिता वर्तमान सरकार की पहचान बन गए हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये परम्परागत तरीकों से हटकर 'आउट-ऑफ-बॉक्स' पहल की गई है।
जैविक उत्पादों और स्थायी सामग्रियों में मशरुम माइसीलियम का योगदान
मशरूम की दुनिया में 'माइसीलियम' एक ऐसा तत्व है जो कई खाद्य, पोषण और औद्योगिक क्रांतियों का आधार बन रहा है। यह मशरूम के जीवन चक्र का वह हिस्सा है जो अदृश्य होते हुए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उत्तम बीज की पहचान तथा विशेषताएं
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां लगभग 70 प्रतिशत लोग खेती करते हैं। जो लोग खेती करते हैं, उन्हें हम अन्नदाता कहते हैं और हर एक किसान की यह इच्छा होती है कि उसकी फसल बहुत अच्छी हो और उसे लाभ की प्राप्ति हो जिससे वह अपनी पूरी लागत निकाल सकें।
बीज कानून अथॉर्टी लैटर
“Study of Seed Laws is not a problem but an opportunity to understand how legally we are soung”
लोगों के स्वास्थ्य पर दूध में मौजूद एंटीबायोटिक अवशेषों का प्रभाव
दूध की बढ़ती मांग ने उत्पादकों को व्यापक पशुपालन प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर किया है। डेयरी पशुओं में विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार के लिए पशु चिकित्सा दवाओं का उपयोग इस तरह के व्यापक पशुपालन प्रथाओं का अभिन्न अंग बन गया है।
फल-सब्जियों के स्टोर के लिए एलईडी आधारित तकनीक
आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं ने मिलकर किसानों के लिए अपनी उपज अधिक समय तक स्टोर करने के लिए एक तकनीक का विकास किया है। यह एलईडी लाईट-आधारित भंडारण तकनीक है। दावा किया जा रहा है कि यह तकनीक फल और सब्जियों को सड़ने से लंबे समय तक बचाए रखती है, जिससे किसान अपनी उपज की शेल्फ लाइफ बढ़ा सकते हैं।
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन कैसे करें?
गेहूं की उत्तम पैदावार के लिए मैंगनीज का प्रबंधन, हमारे देश में गेहूं, धान के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में आज कुल 8.59 करोड़ टन से अधिक गेहूं का उत्पादन हो रहा है। गेहूं की औसत उत्पादन 28.0 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, जो कि अनुसंधान संस्थानों के फार्मों पर प्राप्त तथा नई किस्मों की उत्पादन क्षमता 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से अत्याधिक कम है।
टिड्डी दल के हमले का हो सकेगा पूर्व अनुमान
रेगिस्तानी टिड्डा (शिस्टोसेरका ग्रेगेरिया) खेती के लिए सबसे खतरनाक प्रवासी कीटों में से एक है, जिससे कई क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा के लिए इसका नियंत्रण जरुरी हो गया है।
आय दोगुनी करने में कृषि तकनीकी सूचना तंत्र का योगदान
आज किसानों को समय-समय पर नई कृषि तकनीकों की जानकारियां देश में इंटरनेट, दूरदर्शन या मोबाइल फोन का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान है।