आज के तेजी से बदल रहे डिजिटल विश्व में, वित्तीय समझ मौजूदा वित्तीय माहौल की जटिलताओं से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण योग्यता बन गई है। वित्तीय भुगतान, बैंकिंग एवं बिटकोइनां जैसी नई डिजिटल मुद्राओं समेत सब कुछ ऑनलाईन हो रहा है। इसलिए लोगों के लिए नकदी के जिम्मेदार प्रबंधन के बारे समझना एवं सीखना बहुत आवश्यक होता जा रहा है। आधुनिक डिजिटल प्रौद्योगिकी का पूरी तरह से प्रयोग करना एवं भविष्य में वित्तीय सुरक्षा को यकीनन बनाने के लिए, प्रत्येक के लिए वित्तीय साक्षरता आवश्यक है। यह यकीनन बनाने के लिए कि आपका वित्त आपके विरुद्ध काम करने की बजाये आपके लिए काम करती है, ज्ञान एवं कुशलता की एक टूलकिट्ट की जरूरत होती है। इस तरह वित्तीय साक्षरता वित्तीय अवसरों के संबंध में डिजिटल नुहार की आलोचना करने के लिए एक रोडमैप के तौर पर काम करती है और राहों में महंगी गलतियों से बचाती है।
वित्तीय साक्षरता की धारणा जटिल है और अभी तक समाज में पूरी तरह से प्रसारित नहीं हुई है। सभी सामाजिक एवं आर्थिक वर्ग वित्तीय अनपढ़ता द्वारा प्रभावित होते हैं, जो उनके रोजमर्रा के वित्तीय निर्णयों को प्रभावित करते हैं । वित्तीय सेवाओं एवं उत्पादों और उनके जोखिम-लाभ के ढांचों की बुनियादी समझ की कमी एक ऐसी उदाहरण है। इस अज्ञानता के परिणाम के तौर पर प्रचून निवेशकों एवं परिवारों का बड़ी संख्या में वित्तीय संकट पैदा हो सकता है। व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तरों पर अधिक से अधिक भलाई के साथ-साथ प्रभावी वित्तीय योजनाबंदी के लिए, वित्तीय साक्षरता के कई पहलूओं को पहचानना आवश्यक है।
वित्तीय साक्षरता क्या है?
इसके मूल रूप में, वित्तीय साक्षरता समझदारी के साथ वित्तीय निर्णय लेने एवं अंत में निजी वित्तीय भलाई प्राप्त करने की योग्यता को दिखाती है। यह वित्तीय जागरूकता, ज्ञान, कुशलता, रवैया एवं व्यवहार का सुमेल है। वित्तीय साक्षरता का लक्ष्य सामान्य लोगों को वित्तीय सेवाओं के ज्ञानवान एवं आलोचनात्मिक खपतकार बनने के लिए जरुरी ज्ञान एवं कुशलता के साथ सक्षम बनाना है। यह सिर्फ बाजारों एवं निवेश के बारे नहीं है। यह वित्तीय योजनाबंदी, बजट बनाने, बचत करनी एवं बैंकिंग के बुनियादी बातों को समझने के बारे भी है। सबसे अधिक, यह 'वित्तीय तौर पर स्मार्ट' होने के बारे है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st September 2024 sayısından alınmıştır.
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मृदा में नमी की जांच और फायदे
नरेंद्र कुमार, संदीप कुमार आंतिल2, सुनील कुमार। और हरदीप कलकल 1 1 कृषि विज्ञान केंद्र सिरसा, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय 2 कृषि विज्ञान केंद्र, सोनीपत, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय
निस्तारण की व्यावहारिक योजना पर हो अमल
पराली जलाने से हुए प्रदूषण से निपटने के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन आज तक इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल सका है। यह समस्या हर साल और विकराल होती चली जा रही है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कारगर है कृषि वानिकी
जैसे-जैसे विश्व की आबादी बढ़ती जा रही है, लोगों की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती भी बढ़ रही है।
बढ़ा बजट उबारेगा कृषि को संकट से
साल था 1996 चुनाव परिणाम घोषित हो चुके थे और अटल बिहारी वाजपेयी को निर्वाचित प्रधानमंत्री के रुप में घोषित किया जा चुका था।
घट नहीं रही है भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि की 'प्रधानता'
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक विरोधाभास पैदा हो गया है। तेज आर्थिक विकास दर के फायदे कुछ लोगों तक सीमित हो गए हैं जबकि देश की आबादी का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है।
कृषि विकास का राह सहकारिता
भारत को 2028 तक पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का इरादा है और इसमें जिन तत्वों और सैक्टर के योगदान की जरुरत पड़ेगी, उनमें एक है सहकारिता क्षेत्र।
मधुमक्खियां भी हो रही हैं प्रभावित हवा प्रदूषण से
सर्दियों का मौसम आते ही देश के कई हिस्से प्रदूषण की आगोश में समा गए हैं, खासकर देश की राजधानी दिल्ली जहां सांसों का आपातकाल लगा हुआ है।
ज्वार की रोग एवं कीट प्रतिरोधी नई किस्म विकसित
भारत श्री अन्न या मोटे अनाज का प्रमुख उत्पादक है और निर्यात के मामले में भी हमारा देश दूसरे पायदान पर है।
खरपतवारों के कारण होता है फसली नुकसान
खरपतवार प्रबंधन पर एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हर साल भारत में फसल उत्पादन में करीब 192,202 करोड़ रुपये का नुकसान खरपतवारों के कारण होता है।
जलवायु परिवर्तन बनाम कृषि विकास...
कृषि और प्राकृतिक स्रोतों पर आधारित उद्यम न केवल भारत बल्कि ज्यादातर विकासशील देशों की आर्थिक उन्नति का आधार हैं। कृषि क्षेत्र और इसमें शामिल खेत फसल, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, पॉल्ट्री संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों खासकर शून्य भूखमरी, पोषण और जलवायु कार्रवाई तथा अन्य से जुड़े हुए हैं।