प्रसंस्करण, खेती की आय में वृद्धि, ग्रामीण रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा उत्पन्न करके कृषि उत्पादन प्रणालियों की व्यवहार्यता, लाभप्रदता और स्थिरता में सुधार लाता है। भारत विश्व में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है (163 मिलियन टन द्व.ग. विश्व उत्पादन का 14%) (एनएचबी 2014) परन्तु फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण विकसित देशों में की तुलना में बहुत कम है जबकि वैल्यू एडिशन 7% है (चीन में 20% और यूनाइटेड किंगडम में 88%)। प्रसंस्करण (मूल्यवर्धन सहित) में जीडीपी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और उद्यमियों के लिए व्यवसाय के अवसरों में योगदान करने की जबरदस्त क्षमता है। भविष्य में 35% मूल्य वृद्धि और 10% प्रोसैस्सिंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामना किए जाने वाले विभिन्न चरणों और बाधाओं को ध्यान देने की आवश्यकता है।
वैल्यू एडिशन किसी उत्पाद या सेवा के ग्राहक मूल्य में वृद्धि करते हैं। यह ग्राहक की जरूरतों और धारणाओं द्वारा संचालित एक उत्पादन/विपणन रणनीति है। यह उत्पाद बनाने के लिए उपयोग किए गए कच्चे कृषि, समुद्री या वन्य सामग्री को विशेषताएं जोड़ता है। मूल्य वर्धित कृषि के उदाहरण हैं खाद्य प्रसंस्करण, सुखाने, कैनिंग, जूसिंग, अनूठी पैकेजिंग, लेबलिंग और मार्केटिंग। मूल्य वर्धन का अर्थ है उपभोक्ता के जरूरतों या मांग के अनुसार अलग-अलग उत्पाद। वैल्यू एडिशन उपभोक्ता के लिए अधिक पोषक उत्पाद है। जबकि उत्पादक के लिए प्रसंस्करण और उत्पाद के वितरण में भागीदारी है। यह ऊर्ध्वाधर एकीकरण के रूप में जाना जाता है। मूल्यवर्धित विपणन कई पारंपरिक उत्पादकों के लिए अपेक्षाकृत नई अवधारणा है जिसमें पूंजी, सामूहिक कार्य और खाद्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों का एकीकरण है। वैल्यू एडिशन का महत्व : संघीय कृषि नीतियां, बदलते उपभोक्ता विकल्प और कृषि वस्तुओं के वैश्वीकरण ने वैकल्पिक उत्पादन/विपणन रणनीतियों को आवश्यक बनाया है। आज के खाद्य उपभोक्ता बेहतर स्वाद, अधिक पोषक, ज्यादा विविध और सुविधाजनक उत्पाद की मांग करते हैं। मूल्य वर्धित कृषि में शामिल होने से किसानों की शुद्ध कृषि लाभ में बढ़ोतरी होगी जबकि खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में बिचौलियों के हाशिये कम हो जाएंगे। मूल्य वृद्धि की अवधारणा उत्पादकों को 'मूल्य खरीदार' से लेकर 'मूल्य निर्माताओं' में तबदील कर सकती है।
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th October 2024 sayısından alınmıştır.
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रबी सीजन में इस विधि से करें प्याज की बुवाई
अगर प्याज की खेती करने का विचार बना रहे हैं, तो आज हम आपके लिए रबी सीजन में प्याज की खेती से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आए हैं। आइये जानें, रबी सीजन में प्याज की अच्छी पैदावार के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है?
देश का भविष्य हैं प्रकृति की गोद में उगने वाले लंबे वनस्पतिक रेशे
भारत में जूट की खेती सदियों से होती चली आ रही है और यह उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराने तथा रोजगार के व्यापक अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती चली आ रही है। 60 के दशक के दौरान जूट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा अर्जक था और 70 के दशक के \"स्वर्णिम काल\" तक इस खेती में चतुर्मुखी विकास हुआ। 80 के दशक के दौरान गिरावट शुरू हुई और कृत्रिम तंतुओं से कठोर प्रतिस्पर्धा के कारण जूट का गौरव घट गया।
सब्जियों के उत्पादन का मूल्यवर्धन तकनीक, प्रतिबंध और समाधान
वैश्विक स्तर पर सब्जियों के उत्पादन और विविध सब्जी उत्पाद के कारोबार में व्यापक वृद्धि हुई है। बढ़ती आय, घटते परिवहन लागत, नई उन्नत प्रसंस्करण तकनीक और वैश्वीकरण ने इस विकास के लिए प्रेरित किया है। लेकिन यह वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और प्रसंस्करण के धीमी विकास से मेल नहीं करता है। क्षय को कम करने, विस्तार और विविधीकरण के लिए प्रोसैस्सिंग सबसे प्रभावी उपाय है। प्रसंस्करण गतिविधियां, ताजा उपज के लिए बाजार के अवसरों में वृद्धि करते हुए मूल्य वृद्धि करते हैं तथा पोस्टहर्स्ट हानियों को कम करते हैं।
जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक गंभीर समस्या
विश्वभर में जलवायु परिवर्तन का विषय चर्चा का मुद्दा बना है। इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के सामने सबसे बड़ी चुनौती है तथा इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी जरुरत बन गई है।
टिकाऊ कृषि विकास के लिए मृदा स्वास्थ्य आवश्यक...
मृदा में उपस्थित जैविक कार्बन उसके प्राणों के समान है, जो मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणों को बनाए रखने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक ऊष्मीकरण ने जैविक कार्बन की ह्रास की दर को और अधिक गति प्रदान की है, जिस कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही है। अतः मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने एवं कार्बन प्रच्छादन को बढ़ाने के लिए अनुशंसित प्रबंधन विधियों को अपनाने की अत्यंत आवश्यकता है।
सब्जी उत्पादन का बढ़ता रुझान
सब्जियां हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई हैं। सब्जियों से हमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं जैसे प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम इत्यादि । ये पोषक तत्व हमें शारीरिक रूप से मजबूत बनाए रखने और लंबा जीवन जीने में सहायक बनाते हैं।
सस्य क्रियाओं द्वारा कीट नियंत्रणः
सस्य क्रियाओं द्वारा कीट नियंत्रण, किसान अपना उत्पादन तथा आमदनी बढ़ाने के लिए फसल उत्पादन की समरत विधियों में तकनीकों का उपयोग करता है। इसके अन्तर्गत फसल की किस्म, बुआई का समय एवं विधि, भू-परिष्करण, खेत और खेती की स्वच्छता, उर्वरक प्रबंधन, जल प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन, कीट प्रबंधन और कटाई का समय आदि का समावेश होता है।
बदलते मौसम के अनुसार नर्सरी प्रबंधन
नर्सरी प्रबंधन में प्रतिकूल मौसम के प्रभाव के कारण किसानों को पूरी फसल में नुकसान हो सकता है। इसके प्रबंधन के लिए उन्हें नई तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए जैसे कि प्रो ट्रे में नर्सरी व पॉली टनल के माध्यम से हम बदलते हुए मौसम के अनुसार नर्सरी उत्पादन व उसका प्रबंधन कर सकते हैं क्योंकि इन तकनीकों का प्रमुख कार्य यह है कि हम नियंत्रित वातावरण में नर्सरी उत्पादन व उसका प्रबंधन कर सकते हैं।
धान की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग और उनका प्रबंधन
धान एक प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जो पूरे विश्व की आधी से ज्यादा आबादी को भोजन प्रदान करती है। चावल के उत्पादन में सर्वप्रथम चाईना के बाद भारत दूसरे नंबर पर आता है।
कृषि-खाद्य प्रणालियों में एएमआर को नियंत्रण में करने के लिए उचित कदम उठाने चाहिएं
रोगाणुरोधी प्रतिरोध यानी एएमआर एक ऐसी 'मूक महामारी', है जो न केवल इंसान और मवेशियों के स्वास्थ्य बल्कि खाद्य सुरक्षा और विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। आज जिस तरह से वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र में एंटीबायोटिक्स दवाओं का बेतहाशा उपयोग हो रहा है, वो चिंता का विषय है। सैंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमैंट (सीएसई) लम्बे समय से रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बढ़ते खतरे को लेकर चेताता रहा है।