किसी भूमि पर एक समय में फसलों का हेर-फेर इस प्रकार करना जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति प्रभावित न हो-फसल चक्र कहलाता है। पंजाब व हरियाणा राज्यों में सबसे ज्यादा प्रचलित धान-गेहूं फसल चक्र है जिसके दुष्परिणाम सामने आने लगे है। भूमि की उपजाऊ शक्ति में व भूमिजल में तेजी से गिरावट इसके मुख्य दुष्परिणाम तो है ही, साथ ही भूमिगत जल में कीटनाशियों व वातावरण प्रदूषण अन्य दुष्प्रभाव भी हमारे सामने चुनौती लिये खड़े हैं। ऐसी परिस्थिति में फसल चक्र सबसे अच्छा विकल्प है ताकि अन्न उत्पादन के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति भी बरकरार रखी जा सके।
फसल चक्र अपनाने से भूमि की भौतिक रासायनिक व जैविक संरचना में सुधर आता है व खरपतवार व कीटों की रोकथाम भी हो जाती है। भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार व सिंचाई जल की गिरावट में कमी आती है।
फसल चक्र अपनाने में मूल सिद्वांत फसल चक्र अपनाने में कुछ मूल सिद्वांत अपनाने बहुत जरुरी हैं
» अधिक खाद व सिंचाई चाहने वाली फसलों के बाद कम खाद व कम सिंचाई चाहने वाली फसलों का उत्पादन।
» अधिक निराई-गुड़ाई चाहने वाली फसलों के बाद कम निराई-गुड़ाई चाहने वाली फसलों ऊपरी जड़ वाली फसलों के बाद गहरी जड़ वाली फसलें।
» फसल चक्र में दलहनी फसलों का समावेश।
» ज्यादा मात्रा में खाद शोषण करने वाली फसलों के बाद खेतों को खाली छोड़ना।
फसल चक्र में बदलाव कैसे करें:
Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 1st December 2024 sayısından alınmıştır.
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अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धी प्राप्त विज्ञानी डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा
डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा एक बहुआयामी शकसीयत के मालिक थे। डॉ. महिन्द्र सिंह रंधावा का जन्म एक जाट किसान परिवार के घर 2 फरवरी 1909 को जीरे में हुआ। उनमें बचपन से ही पढ़ने-लिखने व खेलने की दिलचस्पी थी।
हल्दी में पाई जा रही सीसे की मात्रा-चिंताजनक
भारत में कई सदियों से हल्दी का उपयोग होता आया है। यह एक ऐसा मसाला है जो करीब-करीब सभी के घरों में उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं अपने अनोखे गुणों के चलते यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद समझी जाती है। लेकिन एक नए अध्ययन में भारत में हल्दी को लेकर जो खुलासे किए गए हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक भारत के कुछ हिस्सों से लिए गए हल्दी के नमूनों में सीसे (लेड) की मात्रा तय मानकों से 200 गुणा अधिक थी।
पौधों की मृदा जनित बीमारियों को इन प्राकृतिक उपायों से करें प्रबंधित!
दमनकारी मिट्टी कई तंत्रों के माध्यम से काम करती है, जिसमें अक्सर मिट्टी के सूक्ष्म जीवों, कार्बनिक पदार्थों और मिट्टी के गुणों का जटिल परस्पर क्रिया शामिल होती है। सूक्ष्म जीवों की प्रतिस्पर्धा और विरोध लाभकारी सूक्ष्म जीव, जैसे कि कुछ बैक्टीरिया और कवक, पोषक तत्वों और स्थान के लिए रोगजनकों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
फसल चक्र अपनायें भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ायें
बैंड प्लाटिंग तकनीक से गन्ने की बिजाई के साथ गेहूं, धनिया, चना, मसर, सरसों, मूंग, प्याज व लहसुन जैसी फसलें लगाने से खेत को बार-बार तैयार करने की जरुरत नहीं पड़ती व निराई-गुड़ाई होते रहने से फसल में खरपतवार से होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है।
एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से सफलता प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान - अकबर अली अहमद
असम के प्रगतिशील किसान अकबर अली अहमद ने एप्पल बेर की हाई डेंसिटी फार्मिंग से नई ऊंचाईयों को छुआ है।
कृषि आपूर्ति श्रृंखला में ब्लॉकचेन का महत्व
ब्लॉकचेन, किसानों को खेत से उपभोक्ता तक माल की आवाजाही को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है। ब्लॉकचेन तकनीक, कृषि व्यवसाय के भीतर यातायात और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को अनुकूलित करने, कृषि उत्पादों के परिवहन, भंडारण और वितरण के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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गेहूं की बुआई समेत रबी फसलों का सीजन शुरू होते ही देशभर में डीएपी खाद की कमी की गूंज सुनाई दे रही है।