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खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान
Modern Kheti - Hindi|15th March 2025
हमारे देश में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग खेती-बाड़ी के व्यवसाय में सीधे व गैर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
खेती में उचित प्रबंधन से अधिक पैदावार व आय प्राप्त करें किसान

हमारा देश कृषि प्रधान होने के बावजूद अन्य देशों की अपेक्षा प्रति हैक्टेयर औसत उपज काफी कम है। उदाहरण के तौर पर गेंहू की उत्पादकता आयरलैंड व नीदरलैंड जैसे देशों की 93.78 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जबकि भारत की 35.33 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।

खेती पर लागत वर्तमान समय में बहुत अधिक बढ़ गई है। खेत की जुताई, निराई-गुड़ाई, खाद, बीज, दवाईयां, कटाई, मजदूरी आदि का खर्च बहुत अधिक बढ़ गया है। आज देश में प्रति व्यक्ति जमीन की जोत 1.1 प्रति हैक्टेयर से भी कम हो गई है। किसान भाईयों जमीन की जोत को तो नहीं बढ़ाया जा सकता लेकिन खेती की आधुनिक तकनीक अपनाकर व फार्म प्रबंध में छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर खेती की लागत को कम और ज्यादा उत्पादन लिया जा सकता है जो निम्नलिखित है-

खेत की मिट्टी व पानी की जांच

किसान भाईयों को सबसे पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच करवानी चाहिए, जिससे कि यह पता चल सके कि खेत की मिट्टी किस फसल के लिए ज्यादा उपयुक्त है तथा खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश आदि तत्वों की कितनी मात्रा उपलब्ध है जिससे फसल में उचित मात्रा के अनुसार इन तत्वों की कमी दूर की जा सके। खेत में लगे ट्यूबवेल के पानी की जांच से किसान भाईयों को यह पता चल जाता है कि पानी कौन-कौन सी फसल हेतु अधिक लाभप्रद है और कौन सी फसल के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। किसान खेत की मिट्टी व पानी की जांच कृषि विज्ञान केंद्र तथा राज्य सरकार के कृषि विभाग की प्रयोगशालाओं में मुफ्त या बहुत कम शुल्क में करवा सकते हैं।

खेत की तैयारी

खेत में दो-तीन गहरी जुताईयां बिजाई से पहले डिस्क हैरो, मिट्टी पलट हल या देसी हल से करनी चाहिए। क्योंकि इससे भूमि की एक फीट नीचे तक की कड़ी पर परत टूट जाती है तथा इस भूमि में मौजूद तमाम कीट व खरपतवारों के बीच नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी में पानी सूखने की क्षमता भी बढ़ जाती है। मिट्टी नरम होने के कारण फसल की जड़ों का विकास भी अधिक होता है। इससे खेत में उत्पादन की क्षमता बढ़ जाती है। खेत में किसी भी तरह का घास-फूस नहीं होना चाहिए, वरना यह फसल के लिए हानिकारक साबित होता है जिससे पैदावार पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है।

बीज का चयन

Bu hikaye Modern Kheti - Hindi dergisinin 15th March 2025 sayısından alınmıştır.

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