राहुल के घर के आंगन में खड़े आम के पेड़ पर सना मकड़ी ने अपना ठिकाना बना रखा था. वह कीड़ों को पकड़ने के लिए जाला बुनती थी और आराम से रहती थी.
बेला तितली अकसर यहां फूलों का रस पीने के लिए आती और सना उस से बातें करती. उन दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई थी. बेला उसे आसपास की खबरें सुनाती थी. एक दिन वह बोली, “सना, तुम कभी यहां से बाहर गई हो?”
"मैं ने आज तक इस जगह के अलावा कुछ भी नहीं देखा है, ” सना ने जवाब दिया.
“बाहर की दुनिया बहुत रंगीन है. मैं अकसर की तलाश में इधरउधर उड़तीफिरती हूं. तुम्हें भी उसे देखना चाहिए."
"नहीं, नहीं, मुझे डर लग रहा है. मां कहती थीं कि उन्होंने भी अपना पूरा जीवन एक ही जगह पर गुजार दिया था और अब मैं भी वही कर रही हूं," सना ने कहा.
“एक बार तुम यहां से बाहर जा कर तो देखो. तब तुम्हें पता लगेगा कि दुनिया कितनी बड़ी है और यहां कितना कुछ सीखने और जानने को है. बाकी तुम्हारी मर्जी. मैं तुम्हें ले कर जा नहीं सकती वरना मैं आसपास की जगह घुमा देती,” बेला फुसफुसाई.
वे दोनों कुछ देर तक बातें करती रहीं. उस के बाद वे भोजन की तलाश में वहां से उड़ गईं. उस की कही बातें अभी तक सना के दिमाग में घूम रही थीं. कभी उस का मन करता कि वह भी इस आम के पेड़ से दूर जा कर बाहर घूमे, लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं कर पाई.
एक दिन राहुल अपने मम्मीपापा के साथ बगीचे में बैठा था. वह बोला, "मां, कल रविवार है. हम पिकनिक मनाने चलते हैं. बहुत दिन से आप मुझे कहीं घुमाने नहीं ले गए."
“तुम ठीक कहते हो. मेरा मन भी घूमने का कर रहा है. कल हम सब समुद्र किनारे पिकनिक मनाने चलेंगे.” उस की बात सुन कर पापा ने भी अपनी सहमति दे दी. वे रविवार के दिन पिकनिक पर जाने की तैयारी करने लगे. पेड़ पर जाला बुन रही सना उन की बातें सुन रही थी. उस ने फैसला किया कि इस बार वह भी किसी तरह उन के साथ पिकनिक पर जाएगी और बाहर घूम कर आएगी.
रविवार को सुबह सना पेड़ से नीचे उतरी और चुपचाप कार में पीछे जा कर बैठ गई. किसी की
Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin May Second 2023 sayısından alınmıştır.
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