भूतप्रेतों के आने का समय
Champak - Hindi|October Second 2024
बूआ 3 दिन के लिए गांव से हमारे साथ रहने आई थीं और मैं रोमांचित थी, क्योंकि वे हमें बहुत सारी कहानियां सुनाया करती थीं. उन के पास कहानियों का खजाना होता था. इस बार हैलोवीन यानी भूतों का त्योहार 3 दिन बाद आने वाला था.
शिखा गोला प्रजापति
भूतप्रेतों के आने का समय

मेरी बहन और मैं ने उत्सुकता से आग्रह किया कि बूआ हमें भूतों की कहानियां सुनाएं. 3 रातों तक सोने से पहले वह हमें नई और रोमांचक कहानियां सुना कर खुश करती रहीं. कुछ कहानियां हमें हंसाती थीं, जबकि कुछ इतनी डरावनी थीं कि हमारे रोंगटे खड़े हो जाते थे.

आज हैलोवीन डे था. मम्मी और पापा बूआ को उन के गांव वापस छोड़ने गए थे. उन्होंने फोन कर के बताया कि वे आधी रात के बाद ही वापस आ पाएंगे.

मैंने अपनी बहन की ओर मुड़ कर कहा, “आज हैलोवीन है, क्यों न हम कोई हौरर फिल्म देखें? मजा आएगा."

मेरी बहन ने संदेह से मेरी ओर देख कर कहा, "इस समय? तुम्हें डर तो नहीं लगेगा?”

"अरे दीदी, बूआ ने हमें बताया था न कि भूत केवल कहानियों में होते हैं, वास्तविक जीवन में नहीं?" मैं ने आत्मविश्वास से भरी साथ उत्तर दिया.

रात करीब 1 बजे फिल्म खत्म होने के बाद बहन अपने कमरे में चली गई. मैं ने कमरे की लाइट बंद की और बिस्तर पर लेट गया, लेकिन बूआ द्वारा सुनाई गई डरावनी कहानियां और फिल्म के भयानक दृश्य मेरे दिमाग से घूमने लगे. डर के मारे मैं ने जल्दी दोबारा लाइट जलाई और बिस्तर पर बैठ गया.. मझे जो डर महसूस हुआ उस से मेरी नींद भाग गई थी. मम्मीपापा के आने में अभी भी घंटे बाकी थे. मैं अकेला रह गया था और मेरे दिमाग में डरावने विचार घूम रहे थे.

की परीक्षाएं शुरू होने कुछ ही दिन में स्कूल वाली थीं, इसलिए मैं ने समय बिताने और पढ़ाई कर के अपने डर को कम करने का फैसला किया.

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin October Second 2024 sayısından alınmıştır.

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बूआ 3 दिन के लिए गांव से हमारे साथ रहने आई थीं और मैं रोमांचित थी, क्योंकि वे हमें बहुत सारी कहानियां सुनाया करती थीं. उन के पास कहानियों का खजाना होता था. इस बार हैलोवीन यानी भूतों का त्योहार 3 दिन बाद आने वाला था.

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