डागाजी की पटाखा दुकान
Champak - Hindi|November First 2024
"तुम हर दुकान पर जा कर पटाखों की कीमत क्यों पूछ रहे हो, विदित? तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले ही हजार रुपए के पटाखे खरीद लिए हैं, चलो, मुझे अभी दीये और मिठाई भी खरीदनी है," विदित की मां ने झल्लाते हुए कहा.
रुचि गोंटिया
डागाजी की पटाखा दुकान

"पापा, ये पटाखे मुश्किल से 10 मिनट चलेंगे. कृपया अपनी छोटी राजकुमारी के लिए कुछ और खरीद लीजिए,” राशि ने अपने पिता की शर्ट को पकड़ते हुए विनती की.

"अपने समय में हम इतने पैसों से न केवल पूरे महीने पटाखे जलाते थे, बल्कि अगली दीवाली के लिए कुछ पैसे बचा कर भी रखते थे. तुम्हें देखो, हमेशा पैसे बरबाद करते रहते हो,” अमय के पापा ने कहा और पैसे अपने बटुए में रख लिए.

लतिका की मां ने उसे मिठाई का डब्बा दिखाते हुए कहा, “समझने की कोशिश करो बेटा, हर साल पटाखों पर टैक्स बढ़ रहा है. साथ ही, इन से होने वाला प्रदूषण भी बढ़ रहा है. मुझ से ज्यादा की वाला उम्मीद मत करना और यह भी मत भूलना कि मैं तुम्हारी पसंदीदा काजूकतली मिठाई पहले ही खरीद ली है."

“बस, ये पटाखे बहुत हैं. हम ने तुम्हारे लिए नए कपड़े भी खरीद लिए हैं."

"हर साल आप यही बात कहते हैं. मैं जितना बड़ा होता जा रहा हूं, मुझे उतने ही कम पटाखे मिलते हैं. यह बहुत बड़ी नाइंसाफी है."

"आखिर पटाखों का क्या मतलब है? वे घंटे भर में धुएं में बदल जाएंगे. इस बात को मत भूलो कि हम ने तुम्हारे लिए रंगोली के लिए स्टेंसिल भी खरीदे हैं, जिन में सभी रंग हैं."

सभी बच्चों के पैरेंट्स की प्रतिक्रिया एक जैसी थी. न तो बच्चे हार मानने को तैयार थे, न ही पैरेंट्स. कुछ बच्चों को चरखी, फव्वारे और रौकेट चाहिए थे, जबकि कुछ को सांप और सुतली बम .

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin November First 2024 sayısından alınmıştır.

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रिटर्न गिफ्ट
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\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.

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चांद पर जाना
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होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.

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चाय और छिपकली
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पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.

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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
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शेरा ने बुरी आदत छोड़ी

दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"

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अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.

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