तरुण की कहानी
Champak - Hindi|November Second 2024
"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.
सचिन शर्मा
तरुण की कहानी

तरुण हर दिन अपनी दादी के साथ सामुदायिक पार्क जाता था. पार्क में बेंच पर बैठ कर स्वैटर बुनते हुए उसकी दादी उसे भगवान राम, महा धनुर्धर अर्जुन, दानवीर कर्ण, सात बौनों, जिन्न और उड़ने वाले कालीन की कहानियां सुनाती थीं.

उस के लिए उस की दादी एक रहस्य की तरह थीं. घर पर तो वे साधारण महिला की तरह लगती थीं, जो अखबार पढ़तीं और तरुण को खाना खिलाती थीं, लेकिन जैसे ही पार्क पहुंचती, वे जादूगरनी में बदल जातीं, जो हर दिन अपने जादुई धागे से एक नई कहानी बुनतीं. कोई नहीं जानता था कि ये कहानियां उन के पास आती कहां से हैं.

तरुण को मिल्क केक बहुत पसंद था. जब भी उसके पापा शहर में महीनों काम करने के बाद अपने छोटे से शहर आते, तो वे हमेशा तरुण के लिए मिल्क केक का एक डब्बा लाते.

तरुण मिल्क केक मुंह में दबाए बिस्तर पर लेटा अधूरी रह गई आखिरी कहानी के बारे में सोचता रहता.

अगले दिन, उसकी दादी ने उसे एक नई कहानी 'द टेल औफ द मैजिक लैंप' सुनाई. तरुण को यह कहानी बहुत पसंद आई और उसने स्कूल के वार्षिक समारोह में इसे सुनाने का फैसला किया. उस ने अपनी दादी से कहा कि वे इस कहानी को रोज दोहराएं ताकि वह इसे लिख और याद कर सके, लेकिन इस में समस्या थी.

हर बार जब दादी कहानी सुनातीं, तो वे उस में कुछ बदलाव करतीं, कभी पात्रों के नाम बदल देतीं तो कभी बीच में ही नई कहानी शुरू कर देतीं. निराश हो कर तरुण अपनी नोटबुक में उन की गलतियों को सुधारता और दादी उसे डांटतीं. वे दावा करतीं कि विवरण मूल कहानी का हिस्सा नहीं था.

जब उस से यह बरदाश्त नहीं हुआ तो उस ने कहा, "छोड़ो दादी."

दादी उसकी निराशा को समझ गईं. उन्होंने पास आ कर उस के गाल सहलाए और कहा, "मेरे प्यारे बेटे, कहानी में पात्रों के नाम से क्या फर्क पड़ता है? सार तो कहानी के कथानक में ही है. अब अगर तुम इसे सुनाओगे, तो कहानी तुम्हारी होगी, लेकिन कहानी कहने में जुनून होना चाहिए. अगर आप इसे नीरस तरीके से सुनाएंगे, तो इस में मजा नहीं आएगा."

दादी की बहुत सी बातों की तरह यह बात भी उसे समझ नहीं आई.

Bu hikaye Champak - Hindi dergisinin November Second 2024 sayısından alınmıştır.

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