आगरा की प्रियंका आजादी के दिन अपने घर को तिरंगे के तीनों रंगों से सजाती हैं। दिल्ली की वंदना स्वतंत्रता दिवस पर अपनी सोसाइटी की महिलाओं के साथ अनगिनत कार्यक्रम कराती हैं। अंबाला की नेहा तो हर साल 15 अगस्त को बच्चों के साथ एक नई शुरुआत करती हैं। आजादी का जश्न मनाने के लिए इन महिलाओं ने अपना अलग और अनोखा तरीका निकाल रखा है। लेकिन सभी में एक बात समान है और वह है दिल पर छाया देशभक्ति का खुमार। वैसे यह सिर्फ इन महिलाओं की ही बात नहीं, पूरे देश में आधी आबादी इस दिन के अहसास को शिद्दत से जीती है और उमंग-उल्लास के साथ उत्सव मनाती है। कोई अपने बच्चों को देश को आजादी दिलाने वाले शहीद वीर सपूतों के किस्से-कहानियां सुनाती है, तो कुछ को देश-प्रेम से ओत-प्रोत फिल्में देखे बिना आजादी का पर्व अधूरा-सा लगता है। अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाली ऐसी ही कुछ महिलाएं बता रही हैं कि वे स्वतंत्रता दिवस को किस तरह मनाती हैं।
■ तीनों रंगों से घर को सजाती हूं
हमारे लिए स्वतंत्रता दिवस एक खास पर्व है। मैं इसकी तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू कर देती हूं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर साल जब प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है तो वह क्षण हम सबको आजादी के रंग में रंग देता है। मैं तो देशभक्ति से सराबोर हो जाती हूं। मेरे बच्चों में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह रहता है। उनके स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ड्रेसेस और एसेसरीज का पहले से ही प्रबंध करने में जुट जाती हूं।
Bu hikaye Rupayan dergisinin August 11, 2023 sayısından alınmıştır.
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