आजकल सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जहां हर कोई फेसबुक, इंस्टाग्राम और यू-टयूब के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन कर नाम और पैसा कमाना चाहता है। आज यू-ट्यूब पर हर देश और हर प्रकार के व्यंजन, चाहे वेजिटेरियन हों या फिर नॉन वेजिटेरियन, बिना तले-भुने हों या फिर खूब मसालेदार चटपटे, सबको बनाने की भिन्न-भिन्न विधियां वीडियो के माध्यम से उपलब्ध हैं। लेकिन जब हम बिना सोचे-समझे ही इन वीडियो को देखकर हमारी प्रकृति के लिए क्या सही और क्या गलत, इस पर विचार किए बिना ऐसे व्यंजन अपने और परिवार के लिए बना लेते हैं तो इनका हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा हम भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों और कई अन्य तरह की परेशानियों में पड़ सकते हैं।
आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है, ऐसे में आप अपने भोजन को लेकर कितनी जागरूक हैं, आपको यह सोचने की जरूरत है। आयुर्वेद में हमारा भोजन कैसा होना चाहिए, भोजन बनाते समय किन बातों का विचार करना चाहिए, इन सबका विस्तार से वर्णन मिलता है, जिसे 'अष्ट आहार-विधि विशेष आयतन' नाम दिया गया है। इसकी सामान्य जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। साथ ही आपको कभी भी इन व्यंजनों को बनाने वाले वीडियो को हूबहू कॉपी नहीं करना चाहिए।
आहार प्रकृति का ज्ञान
Bu hikaye Rupayan dergisinin June 07, 2024 sayısından alınmıştır.
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।