डॉ. जेम्स सम्मोहन विद्या में पारंगत परामनोवैज्ञानिक थे । वे अमेरिका की साइकोलॉजिकल सोसाइटी के उपाध्यक्ष भी थे। उन्होंने भारत में एक आश्चर्यजनक केस मरीज के अतीत में प्रवेश करके सुलझाने की कोशिश की थी । निशा नाम की एक मरीज के सिर और छाती के अलावा सारा शरीर बर्फ की तरह ठंडा था। एक बार उसकी मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन 12 घंटे बाद उसने आंखें खोल दी थीं।
डॉ. जेम्स ने निशा को सम्मोहित करके उसके अवचेतन मन की बात जानने का प्रयास किया। डॉ. जेम्स ने उनसे पूछना शुरू किया। सम्मोहन की प्रक्रिया में निशा मां के गर्भ में पहुंच गयी, जहां वह सभी आवाजें सुन लिया करती थी। डॉ. जेम्स ने उससे पूछा कि गर्भ में आने से पहले तुम कौन थी। वह बताती है कि वह वृद्ध महिला थी, जिसका नाम मालती देशमुख था। पति की मृत्यु हो चुकी थी । धन-संपत्ति होते हुए भी अशांत थी। अपनी मृत्यु के बाद वह शमशान में अपने ही शरीर का दाहसंस्कार देखती है। इसके बाद उनकी आत्मा गर्भ के लिए भटकती है तथा निशा शर्मा के रूप में जन्म लेती है।
डॉ. जेम्स उनसे मालती देशमुख से पहले के जन्म के बारे में पूछते हैं। निशा कहती है कि 110 वर्ष पूर्व मैंने वाराणसी में एक बड़े सुसंस्कृत परिवार ब्रिटिश सेना में उच्चाधिकारी यशवंत जोशी के यहां सुधा के रूप में जन्म लिया था। गर्भ के समय मेरे पिता की मृत्यु हो गयी। 18 साल की थी, तो मेरी मां की मृत्यु हो गयी। मैंने अपनी शिक्षा पूरी की। इस बीच निशा की स्थिति खराब होने लगती है। डॉ. जेम्स उसे एक दिन का ब्रेक देते हैं।
तीसरे दिन फिर सेशन शुरू होने पर निशा बताती है कि आचार्य बनने के बाद उसकी सरकारी नौकरी लग गयी। इसी दौरान उसकी अनुराग शर्मा से भेंट हुई और दोनों ने शादी कर ली। कुछ समय बाद अनुराग की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी । लंबे समय बाद वह कमलेश नामक युवक से प्रेम कर बैठती है। उससे गर्भ रह जाता है। कमलेश पीछे हट जाता है। हताशा की स्थिति में वह सारी संपत्ति अनाथालय को दान कर फांसी लगा लेती है।
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin September 2022 sayısından alınmıştır.
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