राम ने लौटायी रावण की आवाज
सोच कर देखिए, अगर रामलीला में रावण की एंट्री से पहले उसकी आवाज ही चली जाए, तो क्या हो? ऐसा ही कुछ दिल्ली की 39 वर्ष पुरानी रामलीला कमेटी में रावण का किरदार निभानेवाले प्रवेश के साथ हुआ, जो इस कमेटी में 2014 से बतौर डाइरेक्टर, कॉन्ट्रैक्टर और रावण के तौर पर जुड़े हैं। हुआ यों कि एक बार अयोध्या से दूरदर्शन में 7 बजे रामलीला का प्रसारण होना था, पर 5 बजे पानी सूट नहीं होने की वजह से प्रवेश का गला खराब हो गया और आवाज बंद हो गयी। वे भावुक हो कर बताते हैं, "हमारे किसी साथी कलाकार ने सुझाया कि हम राम जी के स्थान पर ही हैं, तो क्यों ना हनुमान जी और राम जी के दर्शन कर आएं। मैं अपने एक कलाकार दोस्त के साथ वहां पहुंचा। वहां तो जबर्दस्त भीड़ थी, पर एक सिक्योरिटीवाला जानकार निकला। भीड़ के बावजूद जैसे-तैसे उस सिक्योरिटीवाले ने राम लल्ला के दर्शन कराए। और दर्शन क्या हुए, उस दिन के बाद से कभी मेरा गला बैठा ही नहीं।"
प्रवेश रावण के चरित्र से काफी प्रभावित हैं, पर पूजा वे राम की करते हैं। वे कहते हैं, "पूरी रामायण में मुझे दो ही कैरेक्टर बहुत ईमानदार लगे, जिसने दुश्मनी भी निभायी, तो बहुत शिद्दत से निभायी। उसने सीता को कभी नहीं छुआ। वह काफी मर्यादित था। अगर रावण से सीता हरण का प्रकरण हटा दिया जाए, तो उस जैसा व्यक्ति कोई नहीं था। शक्तिशाली, यशस्वी, बुद्धिमान और वेदों का ज्ञाता। इतना ही नहीं, तपस्या का स्तर भी काफी ऊंचा था। यह किसी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी है। सच तो यह है कि रामलीला की ऑडियंस सामान्य रूप से जुड़ी हुई होती है, पर रावण की एंट्री होते ही ऑडियंस की जिज्ञासा और कोलाहल बढ़ जाता है। मैं महसूस करता हूं कि सीन तभी अच्छा होता है, जब विलेन की एंट्री होती है, तभी हीरो के दम का पता चलता है।"
दरअसल, रामलीला कुछ और नहीं, बल्कि इसके माध्यम से लोग अधर्म और धर्म के अंतर को समझें और सही मार्ग को आत्मसात करें। अधर्म कितना भी बड़ा हो, उसे खत्म होना ही होता है, भले ही उसमें कई आहुतियां देनी पड़ें। रावण जानता था कि राम विष्णु के अवतार हैं। उसने खुद को और अपने परिवार को मोक्ष दिलाने के लिए यह आडंबर रचा था।
कथकली ने रखी तलवार की लाज
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin October 2022 sayısından alınmıştır.
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