मेटाबॉलिज्म एक प्रोसेस है, जिसमें हम जो भी खाते हैं, हमारी बॉडी उसे एनर्जी बनाने में उपयोग करती है, जिससे शरीर के सभी हिस्से सुचारू रूप से काम कर सकें। कई लोगों का हाई मेटाबॉलिज्म होता है, क्योंकि वे कैलोरी को ज्यादा जल्दी बर्नआउट कर लेते हैं। पुरुषों में मांसपेशियां ज्यादा होती हैं, इसीलिए वे आसानी से कैलोरी बर्नआउट कर पाते हैं। उम्र बढ़ने पर भी मेटाबॉलिज्म कम होता है, क्योंकि मांसपेशियों में कमी होने की वजह से कैलोरी बर्न करने में दिक्कत होती है। यानी धीरे-धीरे मेटाबॉलिज्म धीमा होता रहता है। शुगर का मेटाबॉलिज्म अगर खराब होता है, तो डाइबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर फैट का मेटाबॉलिज्म खराब होता है, तो कोलेस्ट्रॉल हाई होने लगता है। अगर प्रोटीन का मेटाबॉलिज्म गड़बड़ होता है, तो मांसपेशियां कम होने लगती हैं। अलग-अलग तरह के मेटाबॉलिज्म के गड़बड़ाने से तरह-तरह की बीमारियों की आशंका होती है। हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग के जनरल साइंस में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक जीवन के शुरुआती दौर में मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है, जबकि बड़ी उम्र में मेटाबॉलिज्म गड़बड़ा जाता है। इस शोध में 29 देशों के 8-95 के उम्र के बीच की 64 प्रतिशत महिलाओं ने भाग लिया। हार्वर्ड के एक शोधकर्ता प्रो. ची हाउ ली के मुताबिक आप डाइट और लाइफस्टाइल से कुछ हद कर अपने मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल कर सकते हैं। पर खाने की खराब आदत और व्यायाम से दूर भागने की वजह से मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर होता है।
'लाइफस्टाइल सही हो, तो का मेटाबॉलिज्म अच्छा होगा। इससे शरीर की बहुत सी बीमारियां कंट्रोल में रहेंगी।" -डॉ. प्रजीत कौर, मेदांता, गुरुग्राम
मेटाबॉलिज्म और मोटापा
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin July 2023 sayısından alınmıştır.
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