क्या खूब कहा है कहने वाले ने
गुस्सा और नाराजगी
बारिश के पानी की तरह होना चाहिए,
जो बरस के खत्म हो जाए।
अपनापन हवा की तरह होना चाहिए,
जो खामोश हो
किंतु हमेशा आसपास रहे।
पर क्या ऐसा हो पाता है? शायद नहीं। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां अपने लिए टाइम नहीं, वहां खामोशी को सुनने और महसूस करने का समय कहां। लेकिन कभी अपने परिवार, कभी समाज और कभी अपने लिए भी बने बनाए रिश्तों को टूटने देना भारी पड़ जाता है। रिश्तों को जोड़ने की एक बार ईमानदार कोशिश कीजिए, जिंदगी फिर से मुस्करा उठेगी।
भ्रामक धारणा यह कहना कि महिला इंडिपेंडेट होने के कारण ज्यादा बोल्ड हो गयी है, गलत है। ठीक है कि औरत ने पुरुष के बराबर या कहीं उससे ज्यादा सफलता के परचम फैलाए हों, लेकिन वह इस भूमिका के लिए हर तरह का संघर्ष कर रही है। घर-बाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए कभी ना कभी गलती किसी से भी हो सकती है। यह सही है कि औरत की अवेअरनेस और जानकारी में सकारात्मक बदलाव आए हैं। ध्यान रहे, झगड़ा कभी भी एकतरफा नहीं होता। जिम्मेदारी दोनों पर बराबर होती है। जैसे अकेला चना भाड़ नहीं झोंक सकता, उसी प्रकार अकेला व्यक्ति लड़ाई नहीं कर सकता।
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin December 2023 sayısından alınmıştır.
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