क्या कहते हैं आंकड़े
43% बच्चे स्कूल में ए ग्रेड लाते हैं, जो पिता के ज्यादा समीप होते हैं।
80% तक चांस कम होते हैं किसी आपराधिक मामले में शामिल होने के।
मां का प्यार और पिता का गुस्सा हमेशा से ही मशहूर रहा है। लेकिन आज के जमाने की बात करें, तो जैसे मां मॉम, मम्मा और पिता पॉप, डैड या पॉप्सी बन गए हैं, वैसे ही पिता का गुस्सा भी अब किस्से-कहानियों की बात लगता है। पेरेंटिंग के बदलते तरीकों के साथ लोगों की सोच और बर्ताव में भी बदलाव आया है। बच्चों का पालन-पोषण हमेशा से ही माता-पिता दोनों की साझा जिम्मेदारी माना जाता था, जिसमें ज्यादातर पिता की जिम्मेदारी उनकी पढ़ाई के खर्च और बाकी जरूरतें पूरी करने तक सीमित थी और बाकी सब मां के हिस्से में आता था। कई मामलों में तो पिता को यह तक पता नहीं होता था कि उनके बच्चे किस क्लास में पढ़ रहे हैं और पढ़ाई में कैसे हैं। हालांकि आजकल के पिता इस चलन को पूरी तरह से तोड़ रहे हैं। बच्चे की लाइफ में पिता का इन्वॉल्वमेंट तब से शुरू हो जाता है, जब से वह मां की कोख में आता है। अब सिर्फ एक महिला ही गर्भवती नहीं होती, बल्कि पुरुष भी बड़े गर्व और खुशी से 'वी आर प्रेगनेंट' कहना पसंद करते हैं। प्रेगनेंसी से जुड़ी तकलीफें भले ही शारीरिक तौर से एक महिला ही झेलती है, लेकिन इमोशनल और मानसिक रूप से पति भी इस पूरी यात्रा में पत्नी के साथ कदम से कदम मिला कर चलते हैं।
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin June 2024 sayısından alınmıştır.
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