मैथिली मिश्रा लॉन टेनिस खेलती थीं और उसी में आगे बढ़ना चाहती थीं। प्रैक्टिस के दौरान एक बार शूटिंग रेंज में चली गयीं। वहां का एकदम शांत और कंसंट्रेशन वाला माहौल उन्हें भा गया। जिस तरह शूटर्स निशाना साध रहे थे, वह किसी ध्यान से कम नहीं था। वे अकसर आराम करने या पानी पीने शूटिंग रेंज में जातीं और शूटिंग देखतीं। उन्हें लगा कि यह तो बड़ा मजेदार गेम है। बस इसी मजे के लिए शौकिया शूटिंग शुरू हो गई। तब कहां सोचा था कि यह खेल ही जीवन का मकसद बन जाएगा और उन्हें भविष्य में शोहरत दिलाएगा।
मैथिली मिश्रा जमशेदपुर (झारखंड) में पैदा हुईं और उनका बचपन बनारस में बीता। उनके पिता डॉ. अभयनाथ मिश्रा सीनियर एडवोकेट और मोटिवेशनल स्पीकर हैं। वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ही छात्र रह चुके हैं। उनकी मां नीरू मिश्रा योगा टीचर हैं, जबकि बहन मीनाक्षी ने आईआईटी हैदराबाद से रिसर्च की है और वह ट्रांस्पोर्टेशन डिजाइनर हैं। कहा जा सकता है कि यह पूरा परिवार ही खुद में ही एक मिसाल है।
मैथिली टीनएज में प्रवेश कर ही रही थीं, जब उनका पूरा परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया और फिर आगे की पढ़ाई-लिखाई वहीं से जारी रही। मुंबई के मीठीबाई कॉलेज से साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन के बाद मैथिली ने जमशेदपुर से ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया और अभी एक कंपनी में एचआर कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत हैं।
शौक ने दिलायी शोहरत
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin July 2024 sayısından alınmıştır.
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