डॉ. दिव्या वैष्णव, बाल अधिकार-सुरक्षा विशेषज्ञ, स्टोरीटेलर
बच्चे हमारा भविष्य हैं। वे कल कैसे नागरिक बनेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आज हम उनके लिए कैसी दुनिया बना रहे हैं। बच्चे की परवरिश सिर्फ मां की जिम्मेदारी नहीं है, इसमें परिवार व समाज का योगदान भी शामिल होना चाहिए। डॉ. दिव्या वैष्णव का मानना है कि एक उम्र में बच्चों को सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जो उन्हें परिवार, सगे-संबंधियों, शिक्षकों और समाज से मिलना चाहिए। गुरुग्राम की डॉ. दिव्या वैष्णव मासूमों की दुनिया को गुलजार करने की कोशिशों में जुटी हैं। गुरुग्राम के कम्युनिटी रेडियो प्रोग्राम में हर गुरुवार उनका कार्यक्रम सुरक्षा की कक्षा दिव्या दीदी के साथ आता है।
दिव्या बच्चे उनकी दुनिया (बड) की फाउंडर हैं और बच्चे उन्हें दिव्या दीदी कह कर बुलाते हैं। वह स्टोरीटेलिंग के जरिये बच्चों को गुड और बैड टच, कंसेंट, लिमिट, ऑनलाइन सेफ्टी और बुलीइंग आदि के बारे में जागरूक करती हैं। दिव्या कहती हैं, "बचपन के अनुभवों का असर इंसान पर ताउम्र रहता है। उन्हें प्यार, सम्मान, उत्साह और प्रोत्साहन देना समाज की जिम्मेदारी है। पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि बच्चे स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताते हैं, होमवर्क नहीं करते या टीवी देखते हुए खाना खाते हैं..., मगर ये आदत बच्चों में आयी कैसे ! बड़ों से ही ना ! बच्चों को सिखाने के लिए अपने उदाहरण प्रस्तुत करने पड़ते हैं। उन्हें डांट कर या डरा कर कुछ नहीं सिखाया जा सकता।" दिव्या का मानना है कि बच्चों को परिवार का साथ चाहिए ताकि वे असुरक्षित परिस्थिति में कमजोर ना पड़ें और उनका शोषण ना हो । उनकी सुरक्षा पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
Bu hikaye Vanitha Hindi dergisinin October 2024 sayısından alınmıştır.
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चिल्ड्रंस डे कुछ सवाल
अगर आज हम अपने बच्चों को बेहतर वर्तमान देने की हैसियत रखते हैं तो कल | हम देश के बेहतर भविष्य की गारंटी दे सकते हैं। चिल्ड्रंस डे पर दो अहम मुद्दे, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। ये दोनों बातें बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन्हें समझने की जरूरत है।
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